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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाईन थिकिंग, रोबोटिक्स और बिग डाटा ने सभी प्रकार की इंडस्ट्री को प्रभावित किया है। लेकिन हैल्थकेयर इंडस्ट्री में इनका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है। जैसे-जैसे हैल्थकेयर सेक्टर में प्रौद्योगिकी और इनोवेशन का दायरा बढ़ रहा है वैसे-वैसे हॉस्पिटल्स और स्टार्टअप्स अपनी सेवाओं को बेहतर करने में सक्षम हुए हैं और हैल्थकेयर सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि हैल्थकेयर सेक्टर में नई-नई तकनीकों को अपनाये जा रहे हैं और रोगियों को उपचार देने की पुरानी सोच हमेशा के लिए बदल रही है। यहां कुछ हालिया इनोवेशन प्रस्तुत किये जा रहे हैं, जिन्होंने हैल्थकेयर इंडस्ट्री को नये आयाम हासिल हो रहे हैं।
- पेनसिलवेनिया हॉस्पिटल ने बदल दी परम्परागत डिजाईन: पेनसिलवेनिया हॉस्पिटल ने पुराने समय में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। अब नई सुविधाओं से हॉस्पिटल में नई सोच और प्रौद्योगिकी का प्रवेश हुआ है। अब हॉस्पिटल में संगठित रूप से यह सोच विकसित हुई है कि हॉस्पिटल में आने वाले मरीज को पुराने हॉस्पिटल के मुकाबले किसी होटल में आने का अहसास हो सके। कंपनी का नया पैवेलिचन वर्ष २०२१ तक शुरू होगा। बेस्ट हैल्थकेयर सेवाएं देने के लिए हॉस्पिटल ने डिजाईन और कंस्ट्रक्शन के हर चरण के प्रति मरीजों और स्टॉफ से फीडबैक लिया है।
- बोस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल ने सर्जरी समय को कम करने के लिए अपनाई थ्रीडी मॉडल तकनीक: लंबे समय तक चलने वाले ऑपरेशन घातक साबित हो सकते हैं। जितने समय तक एक मरीज सर्जरी के लिए थियेटर में रहता है उसकी जोखिम उतनी ज्यादा बढ़ जाती है। बोस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के अलावा बहुत से हॉस्पिटलों ने ऑपरेशन से पूर्व थ्रीडी ऑपरेटिंग मॉडल पर ऑपरेशन के अभ्यास की नीति को अपनाया है। थ्रीडी ऑपरेटिंग मॉडल से जहां डॉक्टरों को गंभीर ऑपरेशन करने से पहले अभ्यास करने का मौका मिल जाता है और सर्जरी में कम समय भी लगता है। वहीं इस ऑपरेशन में सफलता की उम्मीद भी बढ़ जायेगी। थ्री प्रिन्टिंग में हॉस्पिटल मरीज के अंगों को हूबहू मॉडल विकसित करने में सक्षम होता है।
- दुर्लभ बिमारियों के उपचार लिए स्टार्टअप ने काम में लिया बिग डाटा को: दुर्लभ बिमारियों के लिए उपचार और नई दवाईयां विकसित करना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। सही उपचार तलाशने के लिए वांछित सूचनाओं की प्राप्ति आवश्यक होती है। हैल्थकेयर स्टार्टअप आरडीएमडी ने दुर्लभ बीमारियों में समानता तलाशने के लिए मेडिकल रिकार्ड में से डाटा का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उपयोग में लिया है। इस डाटा को कंपनी फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों को बिक्री करती है जिससे वें दुर्लभ बिमारियों की दवाईयां विकसित कर सकें। कंपनी इस कदम से यह परिलक्षित हो रहा है कि दुर्लभ बिमारियों का बेहतर उपचार तीव्र गति से खोजा जा सकता है।
- पूर्वानुमान विश्लेषण से यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिकल सेंटर ने ऑपरेशन रूम की बाधाओं को दूर किया: ऑपरेशन रूम की बाधाओं और धीमापन बहुत से हॉस्पिटलों की सामान्य समस्या है और यह मरीजों व डॉक्टरों के लिए खर्चिला एवं निराशाजनक भी होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिकल सेंटर ने ऑपरेशन रूम के अंदर एवं बाहर कारगर पलों को पूर्वानुमान विश्लेषण से जांचा। रियल टाईम डाटा और एआई पॉवर्ड एल्गोरिदम के माध्यम से हॉस्पिटल ने प्रति रूप 4 मिनट और टर्नओवर में 20 प्रतिशत की कमी दर्ज की है। ऑपरेटिंग रूम के सभी मूविंग पार्ट्स में नये सिस्टम से संचार और कार्यप्रवाह में सुधार आया है और इससे हॉस्पिटल प्रत्येक वर्ष 6 लाख अमेरीकी डॉलर बचाने में कामयाब होगा। वहीं इससे मरीजों और स्टॉफ को अधिक संतुष्टि भी मिलेगी।
- हृदय उपचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त रोबोट कर रहा है मदद: आधुनिक रोबोटिक्स ने सर्जरी और उपचार को बेहतर बनाया है जो पूर्व में खतरनाक और संक्रमण फैलाने वाले साबित होते थे। क्रेंजी मैलन यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने हर्टलेंडर रोबोट विकसित किया है। यह छोटा रोबोट हर्ट थेरेपी उपचार करने में सक्षम है। इसमें डॉक्टर मरीज की बॉडी में एक छोटा सा छेद करता है और हृदय के प्रभावित अंग तक रोबोट को नेविगेट करता है। यहां पर रोबोट जाकर स्थापित हो जाता है और थेरेपी को अंजाम देता है। हर्ट लैंडर ने हृदय के परंपरागत सामान्य उपचार के मुकाबले उपचार प्रणाली में काफी सुधार किया है क्योंकि यह अधिक सटिक, सुरक्षित और कम संक्रमण फैलाने वाला साबित होता है।