Wednesday, September 18, 2024
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विकास वो सुई है जो दो को एक कर देती है

by admin@bremedies
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आजादी के बाद से कॉरपोरेट जगत की भारत में पंजीकृत संख्या १५४३७१२ है। इसमें से एक्टिव हैं १०८८७८० जो महाराष्ट्र में २२७९३२, दिल्ली में २०६२०३ व पश्चिम बंगाल में १३९१६६ सृजित हैं। विगत वर्ष १५-१६ में ८४४८१ कंपनियां रजिस्टर्ड की गई। भारत की टॉप ५ कंपनियां जिनकी रैवन्यू भी खासी अच्छी है। इनमें इंडियन ऑयल की रैवेन्यू ३६६४९८.९४ करोड़ रुपये, रिलायंस इंडस्ट्रीज की २८४७९० टाटा मोटर्स २७६५४२.८३, एसबीआई २७२८७१.०२ तथा भारत पेट्रोलियम १९०३९२.२५ करोड़ रुपये है।
आजादी के बाद से टेलीकॉम सेक्टर भारत में दुनिया का सबसे बड़ा दूसरा क्षेत्र है। जहां १.१९ बिलियन (मोबाईल तथा फिक्सडलाईन) टेली सब्सक्राईबर्स हैं। इसके साथ यहां बायरलैस के १.१७ बिलियन, टेली डेक्सीटी ९२.९८ की है। इंटरनेट सब्सक्राईबर्स ४२२.१९ मिलियन व ब्रॉडबैंड के २७६.५२ मिलियन सब्सक्राईबर्स शमिल हैं। जनसंख्या के हिसाब से प्रति एक सौ पर ३२.८६ के पास २९५ पे टीवी चैनल्स हैं। कुछ एक्टिव हैं व कुछ डीटीएच ऑपरेटर्स लगभग ६३.६१ मिलियन हैं, जबकि पेड डीटीएच ऑपरेटर्स हैं ६ के लगभग। डेटा यून पर सब्सक्राइबर्स प्रतिमाह कुल हैं १ जीबी, जीएसएमटी व सीडीएमए के। ये सारे विकास वो हैं जहां सुई एक हैं उसमें धागा पिरोकर दो को एक किया जा रही है। अर्थातï् मोदी द्वारा की जाने वाली विकास की संस्कृति।
मोदी ने २०२२ तक देश को न्यू इंडिया में तब्दील करने का नया एजेंडा देश को दिया है। इनके सपनों में आवास, बिजली, पानी, किसानों की दुगुनी आय, युवाओं -महिलाओं को नए अवसर रोजगार दिया जाना सम्मिलित हैं। आतंकवाद व सांप्रदायिकता खत्म कर दी जायेगी, जहां अपराध करना मुश्किल होगा। भ्रष्टाचार एवं भाई भतीजावाद की भी उन्मूलनता की जायेगी।
पीएम मोदी को हालांकि स्वास्थ्य व शिक्षा आदि में भी बदलाव लाना है। रोजगार सृजन पर ज्यादा ध्यान करना है वहां लगता है सरकार का ध्यान अभी तक पूरी तरह गया नहीं है। जीएसटी में भी सुधार किया जाना है। बेनामी पर अंकुश लगाना है। आधारभूत ढांचों परियोजनाओं पर विशेष ध्यान करना है। जब तक शिक्षा सुधार प्रतिशतता, रोजगार, उच्च कौशल वृद्धि नहीं होगी तब तक विकास स्लो ही रहेगा। अभी तक रोजगार सृजन की बातें ही हो रही है, सुधार नहीं है। स्वास्थ्य क्षेत्र का हाल ही खस्ता है। आज चैलेंज कृत्रिम बुद्धिमत्ता व डिजिटिकरण तकनीक कमियों का है। अभी तो सरकार सोच ही रही है। बैंकों में भी और सुधार किया जाना है। एनपीए ठीक किया जाना है। फंसे कर्ज में ३ फीसदी की वृद्धि हो गई है। जो अभी ६ फीसदी की है। एफबीआई की फंसे कर्ज की प्रोवीजनिंग ९१ फीसदी की हो गई है जो सलाना आधार की गणना है। बैंकों को अभी भी १२ बड़े कॉरपोरेट खातों के ५०,००० करोड़ रुपये के जोखिम के बदले ३०,००० करोड़ रुपये की राशि जुटानी है। देश के जमा का करीब २३ फीसदी हिस्सा एसबीआई के पास जाता है। बावजूद इसके ऋण की वृद्धि दर घटकर १.५ फीसदी रह गई है। देश में सरकारी बैंक समस्या में हैं जहां पूंजी मुहैया करानी है। संचालन भी बेहतर बनाना है। इसी से सुधार संभव होगा।
देश में आजकल युवा लोग अमेरिका में रोजगार वास्ते ज्यादातर आवेदन कर रहे हैं। देश में विगत १२ सालों में भारतीयों के वीजा एच१बी के लिये लगभग २१ लाख की संख्या में रहे। इसमें से ज्यादातर मास्टर्स डिग्री होल्डर हैं। अमेकिरा ने बावजूद इन सबके २६ लाख एचवन वीजा जारी किये। भारत के बाद चीन का नंबर है। पिछले १०-११ वर्षों में चीन के आवेदक रहे २९६३१३, फिलीपीन से ८५९१८, दक्षिण कोरिया से ७७३५९, कनाडा से ६८२२८ वीजा आवेदक थे। इन सबमे उम्र वर्ग रहा २५ से ३४ साल का। यहीं कंप्यूटर पेशेवाले लोग इनमें ज्यादातर रहे। मोदी का कहना है कि भारत में प्रोग्रामर्स बहुत है और आगे इसमें ९० फीसदी करी बढ़ोतरी होनी है जहां इनकी संख्या ५२ लाख पहुंच जाएगी। प्रोग्रामर्स ही डिजिटल क्रांति के नायक होते हैं। ये नई तकनीक, एक कौशल का निर्माण करती है जहां रोजगार अच्छे सैलरीज में मिलता है। भारत व पूरे विश्व में प्रमुख नियोक्ताओं में टीसीएस, आईबीएम, विप्रो, इंफोसिस, एचसीएल, एडॉब, ओरेकल, माइक्रासॉफ्ट, सीएससी, स्टेरिया, एसेंचर शामिल हैं। आगे अब इस क्षेत्र में नए चैलेंजेज आ रहे हैं। जहां नई प्रोग्रामिंग, एप्लीकेशन्स, डवलपमेंटï्स, टूल्स, एआई इत्यादि आ रही है। मोदी ने हाल ही स्टार्टअप को भी प्रशासन से जुडऩे को कहा है जहां उनकी सार्थक भूमिका देखी जा सकती है। नई चीजें सीखी जावें व २०२२ तक नया भारत बना दिया जावे।

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