नई दिल्ली/एजेंसी। राज्य सरकारों द्वारा किए गए ताजा आंकलन के बाद केंद्र सरकार ने 2022 तक शहरी गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों की संख्या में कमी की है। सरकार ने कहा है कि उसे 1.2 करोड़ नए घर बनाने की जरूरत है, जबकि पहले यह अनुमान 1.8 करोड़ था। पुराना अनुमान 2012 के प्रॉजेक्शन पर आधारित था। आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि कुछ राज्य अभी भी आंकड़े जुटा रहे हैं और ऐसे बहुत से बेघर परिवारों को छत मुहैया करा दी गई है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य आवासों के निर्माण में तेजी लाने का है और इसके लिए सरकार नई टेक्नोलॉजी लाएगी, ताकि घरों का निर्माण तेजी से हो और उनकी क्वॉलिटी भी बेहतर रहे। मंत्रालय ने देश के अलग-अलग हिस्सों में अगले 18 महीनों के दौरान कम से कम 6-8 प्रॉजेक्ट्स बनाने के लिए रोडमैप की घोषणा की। प्लान के मुताबिक, केंद्र सरकार टेक्नोलॉजी प्रदर्शन के लिए ग्लोबल कंपनियों को बुलाने जा रही है। शहरी गरीबों के लिए सस्ते आवास बनाने के लिए इनमें से कुछ कंपनियों का चयन किया जाएगा। मिश्रा ने कहा मंत्रालय सस्ते हाउजिंग कंस्ट्रक्शन के लिए टेक्नॉलजी चैलेंज का आयोजन करेगा और ग्लोबल कंपनियों को कम से कम कीमत और समय में घर बनाने का मौका दिया जाएगा। इसमें स्थानीय मटीरियल का इस्तेमाल किया जाएगा और निर्माण के लिए घरेलू नियमों का पालन किया जाएगा। यह पहल प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) प्रॉजेक्ट का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2022 तक सभी गरीब परिवारों को पक्का मकान देना है।
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