नई दिल्ली- उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर, अंडमान व निकोबार तथा लक्षद्वीप में उड़ानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रीजनल कनेक्टिविटी ‘उड़ान’ स्कीम को और उदार बना दिया है। हेलीकाप्टर सेवा को बढ़ावा देने के लिहाज से ऑपरेटरों के लिए क्षतिपूर्ति सहायता (वायबिलिटी गैप फंडिंग) बढ़ाई गई तो 13 सीटों तक के छोटे विमानों के इस्तेमाल की भी अनुमति दे दी गई है। अब 150 किलोमीटर के के बीच वाले दो हवाई अड्डों पर भी यह स्कीम लागू होगी।
स्कीम के तहत प्राप्त होने वाली सालाना आमदनी का 10 फीसद हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों को क्षतिपूर्ति मदद के तौर पर प्रदान की जाएगी। नई रियायतों का एलान करते हुए केंद्रीय नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में एयरलाइनों और एयरपोर्ट ऑपरेटरों के साथ कई दौर की चर्चा के आधार पर स्कीम को विशेषकर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए और उदार बनाया गया है। स्कीम के तहत दूसरे दौर की बोली प्रक्रिया गुरुवार से प्रारंभ हुई। इसके तहत अपेक्षाकृत छोटे विमानों को प्राथमिकता वाले 20 उड़ान रूटों पर उडऩे का मौका दिया जाएगा। दूसरे दौर की बोली के विजेताओं की घोषणा नवंबर में की जाएगी।
नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि पहले दौर में एलायंस एयर, स्पाइसजेट, ट्रू जेट, डेकन एयर और एयर ओडिशा समेत पांच एयरलाइनों को 27 प्रस्तावों के तहत 128 रूट आवंटित किए गए थे। इनमें से आठ पर उड़ानें शुरू हो चुकी हैं जबकि 21 पर शीघ्र शुरू होनी हैं। जिन नगरों से उड़ानें शुरू हो गई हैं उनमें बठिंडा, कांडला, नांदेड़, शिमला, ग्वालियर, कडप्पा, पुडुचेरी और पोरबंदर शामिल हैं। जबकि सितंबर तक आगरा, पठानकोट, शिलांग, बीकानेर, लुधियाना, दुर्गापुर, विद्यानगर, सलेम, मैसूर, जमशेदपुर, कूच विहार, कुल्ेलू, भावनगर, जलगांव, जामनगर, कोल्हापुर, पंतनगर, दीव, नासिक, रायगढ़ और मूंदड़ा से उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा कानपुर, जैसलमेर, आदमपुर, राउरकेला, बर्नपुर, जयपुर, झारसुगुडा, बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, मिठापुर, नेवैली और शोलापुर समेत 14 एयरपोर्ट का उच्चीकरण होगा।
नागर विमानन सचिव आर. एन. चौबे ने कहा कि उड़ान के तहत यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पहले दौर की बोली में आवंटित रूटों के बारे में उन्होंने कहा कि ये कमोबेश पटरी पर हैं। उड़ान के तहत देश के छोटे शहरों को बड़े शहरों तथा छोटे शहरों के बीच आपस में हवाई सेवा से जोडऩे तथा विमान किरायों को आम आदमी की पहुंच के भीतर (प्रति घंटे 2500 रुपये) लाने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके तहत सरकार ने एयरलाइनों को कई रियायतों का एलान किया था। लेकिन स्कीम के प्रति एयरलाइनों ने उम्मीद के मुताबिक उत्साह नहीं दिखाया।
