नई दिल्ली- सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकिंग में कन्सॉलिडेशन को बढ़ावा देना चाहती है। पब्लिक सेक्टर बैंकों में मर्जर के फैसले तेजी से लिए जा सकें, इसके लिए सरकार नया मेकनिजम तैयार करने के बारे में सोच रही है। इसके लिए वह कैबिनेट मंत्रियों की एक छोटी टीम बना सकती है। रणनीतिक विनिवेश के लिए मंत्रियों की ऐसी ही एक टीम बनाई गई है।
मामले से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने बताया, हम सरकारी बैंकों के मर्जर के कई ऑप्शंस पर विचार कर रहे हैं। हमारा इरादा साफ है। हम इस काम को तेजी से करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने के लिए भी इस ऑप्शन पर विचार किया जा सकता है।
सरकार ने पिछले साल कहा था कि वह आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 51 पर्सेंट से कम करना चाहती है, लेकिन बैंक का बैड लोन अधिक होने से इस मामले में प्रगति नहीं हो पाई है। इसके वैल्यूएशन में बैंक की रियल एस्टेट को शामिल नहीं किया गया था। सरकार कुछ समय से लगातार बैंकिंग कन्सॉलिडेशन की बात कहती रही है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जून में कहा था कि सरकार बैंकों के कन्सॉलिडेशन पर तेजी से काम कर रही है, लेकिन उन्होंने इस बारे में पूरी जानकारी नहीं दी थी। जेटली ने कहा था कि इसकी डीटेल्स बताने से बैंकों के स्टॉक प्राइस पर असर पड़ सकता है। इससे पहले चार सरकारी बैंकों- सिंडिकेट बैंक, केनरा बैंक, विजया बैंक और देना बैंक ने वित्त मंत्रालय के सामने कन्सॉलिडेशन प्लान प्रेजेंट किए थे। इसी साल अप्रैल में एसबीआई ने पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक को अपने में मिला लिया था। इसके बाद आउटस्टैंडिंग लोन में उसकी हिस्सेदारी 25 पर्सेंट पहुंच गई है।
नए प्लान में सरकारी बैंकों के कन्सॉलिडेशन प्लान के लिए हर स्टेज पर कैबिनेट की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे कन्सॉलिडेशन की प्रक्रिया तेज होगी। एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने के लिए भी सरकार इसी तरीके का इस्तेमाल कर रही है।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी (सीसीईए) ने सरकार के स्ट्रैटिजिक सेल डिसइन्वेस्टमेंट प्रोग्राम के लिए ऑल्टरनेटिव मेकनिजम का दायरा बढ़ा दिया। इसके लिए एक कमिटी बनाई गई है, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, सडक़ निर्माण मंत्री नितिन गडकरी और संबंधित मंत्रालयों के मंत्रियों को शामिल किया जाएगा।
