नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की जीडीपी ग्रोथ बढक़र 7.5 फीसद तक पहुंच सकती है, जो कि चालू वित्त वर्ष में 7.2 फीसद है। यह बात मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुब्रमण्यन ने कही है। उन्होंने बताया, हमने अपने सभी आकलन कर लिए हैं। सभी बाहरी एजेंसियों और आंतरिक तौर पर हमारा अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.5 फीसद रहेगी।
वर्तमान मूल्य पर यह 11.5 फीसदी रहेगी और मुद्रास्फीति करीब चार फीसद पर रहेगी। “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को 6.50 फीसद के घटाकर 6.25 फीसद कर दिया था। साथ ही उसने अगले वित्त वर्ष के लिए 7.4 फीसद की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। पिछले चार वर्षों की औसत ग्रोथ का जिक्रकरते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि यह 7.3 फीसद रही है। उदारीकरण के बाद यह सभी सरकारों में सबसे ऊंची है। निचले स्तर पर मुद्रास्फीति के बीच यह वृद्धि दर हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले औसत मुद्रास्फीति 10 फीसद से अधिक थी। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में आई गिरावट की वजह मौद्रिक नीति की रूपरेखा है, जिसमें रिजर्व बैंक के लिए इसे एक निश्चित दायरे में रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मौद्रिक नीति समिति को लक्ष्य दिया गया है कि वो मध्यम अवधि के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर को 4 फीसद के दायरे में रखे।
