नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों की ग्रोथ आगे चलकर तेज होने की उम्मीद की जा रही है। इसलिए लगातार दूसरे वित्त वर्ष में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) यहां के शेयर बाजार पर बुलिश हैं। जून तिमाही में उन्होंने मार्च क्वॉर्टर के मुकाबले 350 कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है।
इनमें से कुछ शेयर तो पिछले एक साल में 550 पर्सेंट तक चढ़ चुके हैं। पिछले साल 29 जुलाई को इंडियाबुल्स वेंचर्स के शेयर 29.55 रुपये पर मिल रहे थे, जबकि इस साल 31 जुलाई को इसकी कीमत 546 पर्सेंट अधिक 190.90 रुपये थी। इस कंपनी में एफपीआई की हिस्सेदारी 31 मार्च 2017 तक 1.50 पर्सेंट थी, जबकि 30 जून 2017 तक यह बढक़र 13.41 पर्सेंट हो गई थी। जिंदल वर्ल्डवाइड में भी एफपीआई काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। मार्च तिमाही के अंत तक इसमें विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी शून्य थी, जबकि जून तिमाही में 0.02 पर्सेंट हो गई थी। इस कंपनी के शेयर 31 जुलाई 2017 तक के एक साल में 373 पर्सेंट चढ़े हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 48,411 करोड़ रुपये लगाए थे, जबकि इस वित्त वर्ष में उनका निवेश 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
विदेशी निवेशकों के लगातार निवेश करने से सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गए थे। निफ्टी ने हाल ही में पहली बार 10,000 का लेवल पार किया था, जबकि सेंसेक्स पहली बार 32,500 के ऊपर पहुंचा था। कम महंगाई दर और कच्चे तेल की कीमत लो लेवल पर बने रहने की वजह से भारत इमर्जिंग मार्केट्स में विदेशी निवेशकों का पसंदीदा ठिकाना बना हुआ है। जून क्वॉर्टर में जिन 368 कंपनियों में एफआईआई होल्डिंग बढ़ी है, उनमें से सिर्फ 63 ने पिछले एक साल में नेगेटिव रिटर्न दिया है। जून तिमाही में मिड और स्मॉल कैप के मिंडा इंडस्ट्रीज, इंडियन मेटल्स, कैपलिन प्वाइंट लैब्स, अवंति फीड्स, नोसिल, फ्यूचर लाइफस्टाइल,राने होल्डिंग्स, आदि ने स्टॉक्स में विदेशी निवेशकों ने हिस्सेदारी बढ़ाई है।
