नई दिल्ली। अगले 2 साल में भारत में 100 अरब डॉलर यानी करीब 10 हजार करोड़ डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने का टारगेट है। साथ ही साथ ही जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और रूस जैसे देशों के लिये स्पेशल इंडस्ट्रियल कलस्टर बना जा रहे हैं। इन कलस्टर में उन देशों की कंपनियां निवेश और परिचालन कर सकती हैं। यूनियन कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने इन बातों की जानकारी दी है।
एफडीआई के लिए भारत टॉप डेस्टिनेशन: केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय ने उन क्षेत्रों और देशों की पहचान कर ली है, जहां से भारत में निवेश के लिए काफी अवसर हैं. उन्होंने कहा कि भारत में 10 हजार करोड़ डॉलर का एफडीआई विभिन्न क्षेत्रों से आना चाहिए। हमने कंपनियों, क्षेत्र और कुछ देशों को चिन्हित किया है और अब हम निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बैठकें करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत 2019 में विदेशी निवेशकों के लिये टॉप डेस्टिनेशन बना रहेगा और मंत्रालय उन सभी बातों पर ध्यान देगा, जो विदेशी निवेश आर्किषत करने के रास्ते में रोड़ बन सकते हैं।
कुछ देशों के लिए इंडस्ट्रियल कलस्टर: प्रभु ने कहा कि हम जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और रूस जैसे देशों के लिये इंडस्ट्रियल कलस्टर बना रहे हैं, जहां उन देशों की कंपनियां निवेश और परिचालन कर सकती हैं। चीन, भारत में औद्योगिक पार्क स्थापित करने पर सहमत हो गया है और चीनी प्राधिकरणों से उन कंपनियों की सूची देने को कहा गया है जो भारत में कारखाना लगाना चाहते हैं।
सरकार ने आसान किए नियम: मिनिस्टर ने कहा कि भारत सरकार ने एफडीआई आकर्षित करने के लिए नियमों को उदार बनाने और व्यापार माहौल को बेहतर बनाने के इरादे से इस साल कई कदम उठाए। विश्वबैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 130वें स्थान से कम होकर 77वें स्थान पर आ गई है।
इस साल की जनवरी में सरकार ने विदेशी एयरलाइंस को कर्ज में डूबी एयर इंडिया में 49 फीसदी तक निवेश की अनुमति दी। एकल खुदरा ब्रांड, निर्माण और बिजली एक्सचेंज में निवेश के नियमों को सरल किया। सरकार ने एकल खुदरा ब्रांड कारोबार में ऑटो रूट से 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी।
देश में बढ़ रहा है एफडीआई: देश में कुल एफडीआई 2017-18 में 6196 करोड़ डॉलर रहा जो 2016-17 में 6022 करोड़ डॉलर था. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान एफडीआई 1686 करोड़ डॉलर रहा।
