मुंबई/एजेंसी- इस खरीफ सत्र में किसानों ने बीटी कॉटन के बजाय भारतीय कपास बीज की देसी वेरायटी को आजमाने में दिलचस्पी दिखाई है। सेंट्रल इंस्टीट्ïयूट फॉर कॉटन रिसर्च (सीआईसीआर), नागपुर द्वारा विकसित देसी कपास किस्म में बीटी कॉटन की तुलना में अधिक पैदावार की क्षमता है और साथ ही यह किस्म घास और कीट प्रतिरोधी लाभ से भी संपन्न है। वस्त्र मंत्रालय में टेक्सटाइल आयुक्त कविता गुप्ता के अनुसार इस सदी के शुरू में पेश बीटी कॉटन फसल पर रुक-रुक कर कीटों का हमला देखा गया था जिसकी वजह से 2015-16 में पंजाब और हरियाणा में कपास फसलों को नुकसान पहुंचा था।
गुप्ता ने दूसरी कपास सलाहकार बोर्ड (सीएबी) बैठक के अवसर पर कहा, कि भारत में देसी कपास किस्म में बीटी कपास के मुकाबले ज्यादा पैदावार की क्षमता है और यह कीट और घास प्रतिरोधी लाभ के लिहाज से भी फायदेमंद है। साथ ही देसी किस्म बीटी और कपास की अन्य पारंपरिक किस्मों की तुलना में बेहतर प्राप्ति की पेशकश करती है। इसके परिणामस्वरूप, किसान कपास बीजों की इस देसी किस्म को ज्यादा अपना रहे हैं।
हालांकि गुप्ता ने देसी किस्म की पैदावार में बढ़ोतरी की क्षमता के बारे में कोई खास आंकड़ा नहीं बताया और हाइब्रिड कपास की इस नई स्थानीय किस्म के तहत इस साल रकबे में बदलाव के बारे में भी जानकारी नहीं दी।
