Monday, December 8, 2025 |
Home » केंद्र सरकार को नीति आयोग की सलाह पर देना चाहिए ध्यान

केंद्र सरकार को नीति आयोग की सलाह पर देना चाहिए ध्यान

by Business Remedies
0 comments

केंद्र सरकार को नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम की सलाह पर ध्यान देना चाहिए। हाल ही सुब्रह्मण्यम ने कई दिलचस्प और महत्वपूर्ण बातें कहीं, जो बताती हैं कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर भारत के नीतिगत विचार में क्या कमियां हैं और इस मामले में क्या करने की आवश्यकता है। कुछ अन्य बातों के अलावा उन्होंने कहा कि भारत को चीन सहित एशिया पर करीबी नजर रखनी होगी और पड़ौसियों के साथ मजबूत कारोबारी रिश्ते कायम करने होंगे।

पड़ोसी देशों के साथ भारत की व्यापार व्यवस्थाएं भूराजनीतिक हालात पर निर्भर करती हैं, जो अक्सर प्रतिकूल ही रहते हैं। बहरहाल, भारत शेष एशिया के साथ जुड़ाव स्थापित कर सकता है जो आने वाले वर्षों में वैश्विक वृद्धि का अधिक महत्वपूर्ण वाहक सिद्ध होगा, लेकिन चीन की मौजूदगी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के साथ हुए अपने व्यापार समझौते के परिणामों के कारण भारत अब तक अनिच्छुक बना हुआ है।

बहरहाल, जैसा कि सुब्रह्मण्यम ने कहा कि चीन की अनदेखी करना संभव नहीं है। आखिर वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। कुछ देश चीन के साथ व्यापार अधिशेष की अवस्था में हैं। भारत द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था में खुलापन नहीं लाने की बुनियादी वजह प्रतिस्पर्धी क्षमता की कमी है। यह कमी भी हमारी व्यापार नीति का ही परिणाम है। घरेलू कारोबारों के संरक्षण के लिए उच्च शुल्क दर लागू करने से कच्चे माल पर कर लगता है जो सीधे तौर पर भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता को प्रभावित करता है। भारत को इस मसले को तत्काल संबोधित करने की जरूरत है।

नीति आयोग की ताजा तिमाही व्यापार निगरानी रिपोर्ट जो चमड़ा और जूते-चप्पल के निर्यात पर केंद्रित है, उसमें कहा गया है कि भारत जूते-चप्पल के निर्माण में लगने वाले कच्चे माल में करीब 10 फीसदी शुल्क लगाता है जबकि उसके प्रतिस्पर्धी मसलन वियतनाम आदि करीब शून्य कर लगाते हैं। भारत को अपना रुख बदलने की आवश्यकता है।



You may also like

Leave a Comment