नई दिल्ली। गुजरात की प्रमुख मंडियों में जीरे की आवक एक सीमित दायरे में हो रही है। त्यौहारी सीजन की खपत तथा निर्यातकों की मजबूत लिवाली के कारण आगामी समय में जीरा मंदा होने की आशंका नहीं है।
पिछले कुछ समय से ऊंझा में जीरे की आवक एक सीमित दायरे में हो रही है। अंतिम सूचना के समय ऊंझा में करीब पांच/सात हजार बोरियों की होने की रिपोर्ट्स मिली। ऊंझा में ‘गणेश’ एवं ‘जीएल गुलाब’ जीरा थोड़ा सुधरकर फिलहाल 3630/ 3640 रुपए प्रति 20 किलोग्राम के स्तर पर बने हुए हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि सितम्बर के आरम्भ में आने वाली ईद के अतिरिक्त दीवाली जैसे त्यौहारों के कारण दिसावरों और स्टॉकिस्टों की लिवाली मजबूत बनी हुई है। इतना ही नहीं, खाड़ी के अलावा यूरोपीय देशों की भी मांग बताई जा रही है। उधर, फसल खराब होने के बाद तुर्की और सीरिया की आपूर्ति अब कमजोर पडऩे लगी है। इसके फलस्वरुप विभिन्न प्रमुख आयातक देशों का रुख धीरे-धीरे भारत की ओर होना आरम्भ हो गया है। आमतौर पर इन दोनों देशों में संयुक्त रूप से जीरे का करीब 35 हजार टन उत्पादन होता है। आरम्भ में इन दोनों देशों में संयुक्त रूप से करीब 40 हजार टन जीरे का उत्पादन होने के अनुमान आए थे लेकिन इसके बाद ऐसी खबरें भी आ गईं कि उनकी करीब एक तिहाई फसल खराब हो गई है। पिछले पांच-छ: वर्षों से तुर्की एवं सीरिया गृहयुद्ध की चपेट में होने के कारण जीरे का उत्पादन प्रभावित हुआ था। इसी वजह से पिछले दो-तीन वर्षों से अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर भारत ही जीरे का भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में पिछले कुछ समय से जीरा सामान्य 19,700/ 19,800 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर बना हुआ है। उधर, अंतर्राष्टï्रीय बाजार में भारतीय जीरा हाल ही में तेज होकर फिलहाल 3.84 डॉलर प्रति किलोग्राम के गत सप्ताह के स्तर पर रुका हुआ है। एक महीना पूर्व इसकी कीमत 3.53 डॉलर थी। स्पष्टï है कि इस दौरान जीरे कीद अंतर्राष्टï्रीय कीमत में 0.31 डॉलर या 8.78 प्रतिशत की तेजी आई है। बीते वर्ष की आलोच्य अवधि में यह कीमत 3.75 डॉलर थी। दूसरे शब्दों में, भारतीय जीरे की नवीनतम अंतर्राष्टï्रीय कीमत 0.09 डॉलर या 2.40 प्रतिशत बढ़ी हुई है। इधर, घरेलू बाजारों में तुलनात्मक रूप से ऊंची कीमत बनी होने के बाद भी वित्त वर्ष 2016-17 में 1963.20 करोड़ रुपए कीमत के 1.19 लाख टन जीरे का निर्यात हुआ है, जोकि इससे पूर्व वित्त वर्ष में 97,790 टन था ओर इससे 1531.13 करोड़ रुपए की आय हुई थी। स्पष्टï है कि इस बार मात्रा की दृष्टिï से जीरे का निर्यात 22 प्रतिशत एवं आय के आधार पर 28 प्रतिशत बढ़ा। इतना ही नहीं, मसाला बोर्ड ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 1650 करोड़ रुपए मूल्य के 1.10 लाख टन जीरे के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया था। लक्ष्य की तुलना में मात्रा के आधार पर इसका निर्यात 108 प्रतिशत एवे मात्रा की दृष्टिï से 119 प्रतिशत हुआ। आगामी समय में जीरा मंदा होने की आशंका नहीं है।
(एनएनएस)
लिवाली के चलते जीरा में मंदी की आशंका नहीं
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