बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सितंबर तिमाही के 7.6 प्रतिशत की तुलना में नरम पडक़र छह प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इक्रा रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से वृद्धि दर में यह सुस्ती आने की आशंका है। इसके साथ ही इक्रा ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर, 2023 की अवधि में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) वृद्धि छह प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि में अनुमानित गिरावट आंशिक रूप से प्रतिकूल आधार प्रभाव और मात्रा विस्तार में सुस्ती की वजह से होने का अनुमान है। हालांकि, जिंस कीमतों में लगातार नरमी ने कुछ क्षेत्रों की लाभप्रदता को अनुकूल बनाए रखा है। इसके अतिरिक्त, अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में भारत सरकार और 25 राज्य सरकारों (अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मणिपुर को छोडक़र सभी राज्यों) के कुल खर्च में 0.2 प्रतिशत की मामूली गिरावट आने से जीवीए वृद्धि धीमी होने की उम्मीद है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘औद्योगिक क्षेत्र की मात्रा वृद्धि कम होने, निवेश गतिविधियों के कुछ संकेतकों में सुस्त रफ्तार, सरकारी खर्च में सुस्ती और मानसून की मार से दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत से घटकर छह प्रतिशत रहे की उम्मीद है।’’
इक्रा रेटिंग्स का अनुमान है कि उद्योग और कृषि के विपरीत चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सेवा क्षेत्रों की जीवीए वृद्धि साल-दर-साल बढक़र 6.5 प्रतिशत हो जाएगी, जो 2023-24 की जुलाई-सितम्बर अवधि में 5.8 प्रतिशत थी। इसमें व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं की अहम भूमिका रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर तिमाही में केंद्र के गैर-ब्याज राजस्व व्यय में 19.1 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आई है जबकि सितम्बर तिमाही में इसमें 23.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।