बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। देश में पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध से अर्थव्यवस्था लडखड़़ा गई है। ऐसे में उद्यमियों का फर्ज बनता है कि वह पुन: देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के वाक्य को परिणीत कर अपने व्यवसाय में उतारे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तुलना में उच्चस्तर पर पहुंच सके। अब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति भी बनने लगी है। इस बार अच्छा मानसून भी व्यापारियों का साथ दे रहा है। व्यापारी भी अब पहले के भांति काम में जुट गए हैं। उम्मीद है कि इस बार त्यौहारी सीजन में पिछले तीन वर्ष की कसर उद्यमी पूरी कर व्यापार को और आगे बढ़ा सकेंगे। जहां पहले बिगड़े हालातों ने ना सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं को बल्कि अर्थव्यवस्था को भी झकझौर दिया था। ऐसे में अब उद्यमियों को सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए सुचारू रूप से उद्योग-धंधों को बेहतरी की ओर आगे बढऩा है। इससे अर्थव्यवस्था उच्च स्तर पर आकर देश को विकसित श्रेणी में ला सके। बिजनेस रेमेडीज ने अर्थव्यवस्था को उच्च स्तर पर लाने के लिए कारोबारी किस तरह से निभाएं भागेदारी? शीर्षक से श्रृंखला शुरू की है। इसमें कुछ प्रश्नों के माध्यम से वर्तमान परिस्थितियों में कारोबारी की सोच को जानने का प्रयास किया गया है। गत दिवस निदेशक, शक्ति केमिकल्स एंड निकिता सोप फैक्ट्री, सरनाडूंगर, जयपुर के देवेंद्र सिंह कत्याल से संबंधित विषय में जानकारी हासिल की है।
अच्छा मानसून इस बार कारोबारियों को बिगड़े हालातों को किस तरह से सम्बल दे पाएगा?
व्यापार अच्छे रहने की पूरी उम्मीद बनी हुई है। हमारी अर्थव्यवस्था भी अधिकांशत: कृषि और बारिश पर ही निर्भर है। अधिकतर लोग गांवों में ही निवास करते हैं, अगर किसानों के पास पैसा आएगा तो निश्चित रूप से बाजार में खरीददारी बढ़ेगी और सरकार के पास राजस्व भी आ सकेगा। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि सकारात्मक रूख बना रहेगा।
वर्तमान स्थितियों में व्यवसाय के रॉ मैटेरियल की दरों मेंं क्या कोई कमी आई है?
रॉ मैटेरियल की दरों में कोई भारी कमी नहीं है। हां, यह जरूर है कि 5 से 10 फीसदी दरों में कमी आई है। जब तक अंतरराष्ट्रीय मार्केट में स्थिरता नहीं आती और यूक्रेन-रूस व ताइवान-चाइना में तनाव कम नहीं हो जाता, तब तक बाजार में अस्थिरता ही रहेगी। इससे भी कच्चे माल में भारी कमी नहीं आ पाएगी।
देश की अर्थव्यवस्था और अपने व्यवसाय को उच्च स्तर पर लाने में कारोबारी किस तरह से अपनी भागेदारी निभाए?
अधिक से अधिक उत्पादन हो और देश में छोटी-छोटी यूनिटें खुलें तो अर्थव्यवस्था उच्च स्तर पर आ सकेगी। इसके अलावा सरकार भी अगर छोटी यूनिटों को हर तरह से प्रोत्साहन देगी,उन्हें सब्सिडी देगी तो निश्चित रूप से उत्पादन भी बढ़ा सकेंगी। इससे सरकार को अधिक राजस्व भी मिल सकेगा।
मेक इन इण्डिया विजन को आप कैसा मानते हैं और कब तक यह क्रियान्वित हो सकेगा?
विजन बहुत अच्छा है। इस ओर भारत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। आने वाले समय में देश में स्थिरता रहती है तो वह दिन दूर नहीं जब हम मेक इन इण्डिया की ओर कदम बढ़ा लेंगे। बड़े-बड़े ब्रांड भी भारत में अपनी यूनिटें डालने के लिए आ रही है, इन्फ्रास्ट्रेक्चर को बढ़ावा मिल रहा है। इससे देश में बेरोजगारी भी काफी हद तक दूर हो सकेगी और भारत विकसित देश की श्रेणी में गिना जा सकेगा।
अगले माह त्यौहारी सीजन के मद्देनजर बाजार कैसे रहने की उम्मीद है?
मानसून अच्छा रहने से पूरी उम्मीद है कि त्यौहारी सीजन में बाजार में उछाल आएगा और कारोबारियों को तीन वर्ष बाद कुछ सहूलियतें मिल सकेगी।
वर्तमान स्थितियों में सुधार के लिए सरकार से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
हमारी सरकार से यही अपेक्षाएं है कि वह छोटी-छोटी यूनिटों को प्रोत्साहन दे। टैक्ससेज में राहत देकर उन्हें उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करे। इसके अलावा बढ़ती बिजली दरों को कम कर व्यापारियों को राहत प्रदान करनी चाहिए।