सरकार का इरादा 40 लाख पर्यदकों केा क्रुज टुरिज्म की तरफ आकर्षित करने का हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 1.80 लाख रहा था।”नई दिल्ली। देश में बढ़ रहें आधुनिक जीवनशैली और विदेशों में हॉलीड मनाने के बढ़ते चलन को देखने हुए सरकार अब भारत में भी क्रुज टूरिज्म को बढ़ावा देेना चाहती हैं। सरकार का इरादा 40 लाख पर्यदकों केा क्रुज टुरिज्म की तरफ आकर्षित करने का हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 1.80 लाख रहा था। केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह जानकारी दी। इससे न केवल देश में क्रुज पर घमने वालें सैलानियों की तादाद बढ़ेगी बल्कि सरकार केा भारी राजस्व का भी मुनाफा होगा। समुद्र में बड़ें जलपोतों पर यात्रा करना कु्रज टूरिज्म कहलाता हैं। लेकिन 1 जुलाई को लागू हुए वस्तू एंव सेवा कर के बाद भारत में कु्रज टूरिज्म उद्योग फिलहाल अशंकित दिखाई दे रहा हैं।सडक़ परिवहन मंत्री गडकरी ने टूरिज्म पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यदि सही दिशा में कदम बढ़ायें जाएं तो भारत में पर्यटकों को लेकर जाने वाले जहाजों कि संख्या मौजूदा 158 से बढक़र सलाना 955 तक पहुंच सकती हैं। उन्होने यह भी कहा कि जल-विहार के पर्यटकों की संख्या बढऩे से राजस्व लाभ 2022 तक 35,500 करोड़ रूपये तक पहुंच सकता हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 700 करोड़ रूपये था।जीएसटी से फंस रहा पेंच लेकिन कुछ जानकार काराधन और बंदरगाह शुल्क जैसे होने वाले अधिक खर्चों का चिंताजनक बताया हैं। उनके अनुसार कई विकसित देशों के मुकाबले भारत में यह शुल्क 50 फीसदी हैं। यदि भारत में भी कु्रज टूरिज्म से जुड़ी किसी भी गतिविधि पर कोई जीएसटी नहीं लगता तो इससे कु्रज टुरिज्म के चलन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगा। यह केवल धन की बात नहीं हैं बल्कि सैद्धांतिक तौर पर कु्रज टूरिज्म को टिकट के दाम और यात्रा को दौरान कु्रज में होने वाले बिक्रि पर जीएसटी नहीं लागू होना चाहिए।गडकरी ने बताया कि हमारे मंत्रालय ने इस संबंध मे जीएसटी पर विचार नहीं किया हैं पर मंत्रालय ने इस दिशा पर काम करना शुरू कर दिया हैं। कुछ और जानकारों का मानना हैं कि इसके लिए इमिग्रेशन प्रक्रि या को मौजूदा हिसाब से आसान करना होगा। इसके साथ ही टैक्स और कस्टम ड्यूटी की दरें भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर लाना होगा।
देश में क्रुज टुरिज्म बढ़ाने की कवायद
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