वॉशिंगटन/एजेंसी। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चिर-यौवन के राज खोलते हुए कहा है कि कम खाने से और कम कैलोरियों के सेवन से बुढ़ापे की रफ्तार सुस्त की जा सकती है और लंबे एवं स्वस्थ जीवन को बढ़ावा दिया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अरबों डॉलर का उद्योग है जो बुढ़ापे के लक्षणों से लडऩे के उत्पाद बनाते हैं लेकिन ये सभी उत्पाद बस उपरी तौर पर ही असर डालते हैं। उनका कहना है कि बुढ़ापे की प्रक्रिया गहरी है, यह एक कोशिकीय प्रक्रिया है।
वैज्ञानिकों ने पाया है कि कम खाने से यह कोशिकीय प्रक्रिया सुस्त की जा सकती है। उनके अनुसंधान से यह जानने में मदद मिलती है कि कैसे कैलोरियों में कटौती से कोशिका के अंदर का बुढ़ापा प्रभावित होता है। जांच में पाया कि जब कोशिका के प्रोटीन-निर्माता राइबोसोम सुस्त पड़ते हैं तो बुढ़ापे की प्रक्रिया भी सुस्त पड़ती है। गति में आई यह कमी उत्पादन में गिरावट लाती है, लेकिन साथ ही राइबोसोम को अपनी मरम्मत करने के लिए अतिरिक्त वक्त भी देती है।
