नई दिल्ली/एजेंसी-जो बिल्डर्स नए रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) से बचने की कोशिश कर रहे थे, वे ऐसा नही कर पाएगे। बैंको ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के साथ सलाह करने के बाद यह फैसला किया है कि उन प्रोजेक्ट्स को लोन नही दिया जाएगा, जो रेरा के तहत रजिस्टर्ड नही है।बैंको से लोन नही मिलने के डर से बिल्डरो को सभी प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन रेरा के तहत करवाना पड़ेगा।
रेरा का मकसद ग्राहको का पैसा लेकर रातो रात फरार होने वाले बिल्डरो पर लगाम लगाना है, इसलिए उन प्रोजेक्ट्स को कर्ज नही ́मिलेगा, जो नए रियल एस्टेट कानून के तहत रजिस्टर्ड नही होगे।
नए रियल ऐस्टेट (रेगुलेशन एंड डिवेलपमेन्ट) एक्ट, 2016 (रेरा) मे बिल्डर को किसी प्रोजेक्ट् के लिए ग्राहको से ली गई 70 पर्सेंट रकम अलग बैंक खाते मे रखनी होगी। इससे उसके पास किसी अन्य कामकाज के लिए 30 पर्सेंट रकम होगी। पहले वह ग्राहको से लिए गए पूरे पैसे का इस्तेमाल उस प्रोजेक्ट् के अलावा किसी और काम मे कर सकता था। रियल एस्टेट इंडस्ट्री की संस्था अपने सदस्यो से रेरा के तहत प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराने की अपील कर रही है, लेकिन इस मामले मे उसे बहुत सफलता नही मिली है।
बिल्डरो की सबसे बड़ी संस्था कन्फैडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट जे.शाह के अनुसार हमने अपने सभी मेंबर डवेलपर्स से अपने प्रोजेक्ट्स रेरा के तहत रजिस्टर कराने को कहा है। शाह ने कहा कि रेरा का मकसद यह है कि ग्राहको को तकलीफ न सहनी पड़े। डवेलपर्स रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर रहे है। इसे तेजी से प्रोसेस करने के लिए अथॉरिटी के लेवल पर इंफ्रास्टक्चर मे सुधार लाया जाना चाहिए। यह काम तेजी से होना चाहिए, क्योकि ग्राहक पजेशन का इंतजार कर रहे है।