नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को फिर से पटरी पर लाने की योजना का खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए अपरिवर्तित राजस्व के आधार पर 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की खातिर धन का इंतजाम करने के लिए बॉन्ड जारी करने के बारे में विचार किया जा रहा है। ये प्रस्ताव अंतिम चरण में हैं, जिन्हें जल्द ही मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।
केंद्र सरकार बीएसएनएल को अपने सेवानिवृत्ति पैकेज की वित्त व्यवस्था के लिए बॉन्डों के जरिये 6,767 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दे सकती है। वर्ष 2014 में मंत्री समूह ने बीएसएनएल को सब्सिडी देने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को केवल वीआरएस में इस्तेमाल करने के बारे में विचार किया जा सकता है। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) से 1,250 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह फंड बीएसएनएल के उस घाटे की भरपाई के लिए था, जो उसे 1 अप्रैल, 2002 से पहले दिए गए ग्रामीण वायरलेस कनेक्शनों में हुआ था। यूएसओएफ की शुरुआत 2002 में हुई थी। यह अप्रैल 2002 से पहले दिए गए ग्रामीण वायरलेस कनेक्शनों के लिए बीएसएनएल को सब्सिडी मुहैया करा रहा है। जहां तक 4जी स्पेक्ट्रम का सवाल है, यह कंपनी को अपरिवर्तित राजस्व आधार पर आवंटित किया जा सकता है। इसका मतलब है कि दूरसंचार विभाग बीएसएनएल में पूंजी लगाएगा और कंपनी यह राशि सरकार से बाजार निर्धारित कीमतों पर स्पेक्ट्रम खरीदने में इस्तेमाल करेगी। हालांकि बीएसएनएल ने अपनी मांग में कहा था कि वह चाहती है कि 4जी स्पेक्ट्रम 50 फीसदी पूंजी निवेश के जरिये आवंटित हो और 50 फीसदी बाजार कीमत का निर्धारण 2015 की नीलामी पर आधारित हो। केंद्र सरकार बीएसएनएल को 13,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज मुहैया कराने पर काम कर रही है, जिनमें 6,365 करोड़ रुपये वीआरएस के लिए और 6,767 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश और रियल एस्टेट को बेचकर 4जी स्पेक्ट्रम आवंटित करना शामिल है। बीएसएनएल पर कर्ज 13,500 करोड़ रुपये है, जबकि दूरसंचार क्षेत्र पर ऋण 6.1 लाख करोड़ रुपये है।