Wednesday, September 18, 2024
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बिकवाली से मुंबई में तुवर-उड़द-मसूर में आई तेजी

by admin@bremedies
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नई दिल्ली। गत 5-6 दिनों के अंतराल तुवर, उड़द, मसूर में आई 500/800 रुपए की तेजी के बाद मुनाफावसूली बिकवाली से आज सभी उत्पादक व बंदरगाह वाली मंडियों में 100/200 रुपए प्रति क्विंटल मंदे का करैक्शन आ गया।
वहीं बारीक धान उक्त अवधि के अंतराल 150 रुपए और उछल गये। धान-1509 में 250 रुपए का इजाफा हो गया। सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात ड्यूटी डेढ़ से दो गुना कर दिये जाने से खाद्य तेल 150/200 रुपए बढ़ गये थे, लेकिन मलेशिया के मंदे समाचार आने से आज फिर बाजार दब गये हैैं। उधर किराने में साबुदाना फलाहारी मांग समाप्त होते ही एवरेज क्वालिटी का 200/300 रुपए साऊथ की मंडियों में टूट गया। केसर भी निर्यात मांग कमजोर होनेे एवं ईरान के माल मंदे भाव बिकने से 15/20 रुपए प्रति ग्राम कश्मीर, पंजाब, हिमाचल सहित विभिन्न मंडियों में लुढक़ गया।
अनाज-दाल: दलहनों में उक्त अवधि के अंतराल सरपट तेजी का रुख बना रहा। मुंबई में उड़द एसक्यू 4750 से छलांग लगाकर 5450 बिकने केे बाद आज 5300/5350 रुपए रह गयी। उड़द एफएक्यू में भी इसी अनुपात में भारी तेजी के बाद मंदेे की करैक्शन आ गयी है। गौरतलब है कि बरसात की कमी से महाराष्टर, कर्नाटक एवं एमपी में पोल आने की तेजडिय़े हवा उड़ा दिये हैं जिससे जरूरत से ज्यादा तेजी आ गयी है। इसी तरह तुवर भी 3850 रुपए बिककर 4500 बिकने के बाद मुंबई में आज 4400 रुपए बोली गयी, जबकि लिवाल कमजोर है। अत: इसमें 200 रुपए का और मंदा लगता है। मसूर भी काफी बढऩे के बाद थोड़ी मुलायम हो गयी। मूंग के भाव इलाहाबाद, कानपुर एवं रांची लाइन में 450 बढऩे के बाद 100 रुपए घटाकर बोलेे गये। उत्तर भारत में बरसात की कमी होने एवं पश्चिम की हवा बहने से धान के खेेतों में पानी की कमी होने लगी है। पूरवईया हवा बहने से धान की फसल में कई शाखाएं फूटती हैं, वह इस बार कम रह गयी हैं जिससे 1121 धान की फसल में भारी कमी का अंदेशा बन गया है। दूसरी ओर पुराना स्टॉक काफी कम बच जाने सेे 150 रुपए बढक़र करनाल लाइन में 3000 रुपए क्विंटल धान बिक गया। धान-1509 भी इससे पिछले बुधवार को जो चीका, तरावड़ी व सफीदों लाइन में 2040/2050 रुपए बिका था, उसके भाव 2200/2261 रुपए पर ऊपर में बन गये। सेला चावल भी 4850 से बढक़र 5150/5200 रुपए हरियाणा की राइस मिलों में हो गया। यूपी की दादरी लाइन में भी सेला चावल 5050/5100 रुपए हो गया।
तेल-तिलहन: सरकार द्वारा गत सप्ताह सीपीओ, सोया डिगम, पामोलिन सहित विभिन्न खाद्य तेलों पर आयात शुल्क डेढ़ से दोगुना कर दिया गया, जिससे घरेलू मंडियों में भी तेलों के भाव बिक्री कम के बावजूद भी 100/200 रुपए बढ़ गये थे। मलेशिया में सीपीओ 685 डॉलर प्रति टन हो गया था, लेकिन वहां तेल का दबाव बढऩे से फिर दो दिनों के बंद बाजार में यह गिरकर 670 डॉलर वहां रह गया। कांदला में भी इसके भाव जो 50 रुपए बढ़े थे, वह वापिस घटकर 4400 रुपए रह गयेे। सोया डिगम पर 12.5 से बढ़ाकर 17.5 प्रतिशत शुल्क कर दिया गया है, लेकिन ग्राहकी का समर्थन न मिलने से इंदौर लाइन में 100 रुपए बढक़र 6450 रुपए बनने के बाद 50 रुपए मुलायम हो गये। सोयाबीन की आने वाली फसल में कुछ क्षेत्रों में पोल का अंदेशा बन गया हैै, क्योंकि बरसात की कमी सेे फली में दाने पिचक सकते हैं। वहीं खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढऩेे से सरसों में तेल मिलों की लिवाली बढ़ गयी, जिससे यूपी, हरियाणा, राजस्थान, एमपी आदि सभी राज्यों में आवक बढऩे के बावजूद लगातार तेज होता गया। जयपुर पहुंच में जो सरसों नीचे में 3850 रुपए बिकी थी, उसके भाव 3890/3895 रुपए प्रति टन हो गये। कोटा लाइन का तेल 7600 रुपए एवं जयपुर पहुंच में 7770 रुपए बिक गया।
किराना-मेवे: किराने में पूरे सप्ताह व्यापार ढीला रहा, लेकिन पोस्तदाना ग्वालियर, नीमच लाइन में मंडियों में काफी कम आने से 60/70 रुपए वहां उछल गया। गत दिनों नारकोटिक्स विभाग द्वारा उसमें अफीम की मात्रा पाये जाने से 23 कट्टïे सीज़ कर दियेे थे, जिससे किसान व स्टॉकिस्टों के माल आने कम हो गये हैं। दूसरी ओर तुर्की का आयात परमिट उलझन में पड़ा हुआ है। फलत: दिल्ली सहित अन्य मंडियों में भी 60/70 रुपए की तेजी आ गयी थी। वहीं फलाहारी मांग समाप्त हो जाने एवं बरसात की कमी से साबुदाना कोयम्बटूर, सेलम लाइन में दो/तीन रुपए घटकर 52/53 रुपए किलो भाव रह गये। कुछ मिलावटी माल एमपी की मंडियों में 48 रुपए भी बिकने की खबर आई जिससे दिल्ली सहित एनसीआर की मंडियों में 73 रुपए वाला साबुदाना 68/69 रुपए प्रति किलो रह गया। केसर भी बद्दी, श्रीनगर, पामपोर, उड़ी एवं कूपवाड़ा लाइन में स्टॉकिस्टों की बिकवाली से 15/20 रुपए प्रति ग्राम टूट गया। हिमाचल में जो लीडर ब्रांड 190 रुपए बिका था, उसके भाव 175 रुपए बोलने लगे। ईरानी माल मंदे भाव का उतरने लगा है, जो यहां 110/115 रुपए बोल रहे हैं। इसके प्रभाव से कश्मीरी केसर की बिक्री ठण्डी पड़ गयी है। नई फसल अभी डेढ़ महीने बाद आएगी जिससे मंदा रुक जाएगा।(एनएनएस)

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