Sunday, May 25, 2025 |
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बैंकों को अब रियल एस्टेट सेक्टर से बैड लोन बढऩे का डर

by admin@bremedies
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मुंबई/एजेंसी- चार साल से बैंकों को इंफ्रस्ट्रक्चर और स्टील सेक्टर ने परेशान किया हुआ है और अब रियल एस्टेट उनके लिए नया सिरदर्द बन सकता है। रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) के साथ एडजस्टमेंट और नए प्रोजेक्ट्स की संख्या कम होने से उन्हें इस सेक्टर से बैड लोन बढऩे की आशंका है। हालांकि, बैंकों का बिल्डरों को सीधा एक्सपोजर 5 पर्सेंट के करीब ही है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी पी एस जयकुमार ने बताया, कि हमने उत्तर भारत में कुछ बिल्डरों को कर्ज दिया है, जो निर्माण नहीं कर रहे हैं या जिनमें सुस्ती आ गई है। इससे एनपीए में कुछ बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह रकम बहुत अधिक नहीं है। हालांकि, जब ये बदलाव बैलेंस शीट में दर्ज होंगे तो आपको कुछ स्ट्रेस देखने को मिल सकता है।
आरबीआई डेटा के मुताबिक, कमर्शियल रियल एस्टेट को दिए जाने वाले लोन में 3.3 पर्सेंट की गिरावट आई है। नोटबंदी की सबसे अधिक मार रियल एस्टेट सेक्टर पर ही पड़ी थी। रेरा के लागू होने से इस सेक्टर की हालत और बुरी हो गई है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर को अधिक कर्ज की वजह से भी परेशानी हो रही है।
सरकार ने इस साल 1 मई से रेरा को लागू किया है। बिल्डरों को इसके तहत नए और मौजूदा प्रोजेक्ट्स को रजिस्टर कराने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था। उन्हें प्रोजेक्ट्स को संबंधित राज्यों के रेरा के पास रजिस्टर कराना है। महाराष्ट्र पंजाब और मध्य प्रदेश ने सबसे पहले रेरा के रूल्स को अधिसूचित किया है। महाराष्ट्र रेरा को 31 जुलाई की डेडलाइन तक रेगुलेटर को मौजूदा प्रोजेक्ट्स के लिए 10,852 एप्लिकेशन रजिस्ट्रेशन के लिए मिले थे। अब तक इनकी संख्या 12,000 से अधिक हो गई है।
यस बैंक में रिटेल बैंकिंग और बिजनेस बैंकिंग के हेड प्रलय मंडल ने बताया, कि लग्जरी हाउसिंग सेगमेंट में कुछ समस्या है, लेकिन हम अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट पर बुलिश हैं। रेरा पर तस्वीर साफ नहीं हुई है। इसलिए कुछ सुस्ती है। इसके साथ कैश इकनॉमी पर भी काफी दबाव है। हालांकि, रेरा की अच्छी बात यह है कि इससे किसी प्रोजेक्ट की सच्चाई ग्राहकों को पता चल रही है।
रेरा के जरिये रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश की गई है। इससे होम बायर्स के हितों की रक्षा होगी। इसमें बिल्डरों को प्रोजेक्ट संबंधी सूचनाएं, प्रोजेक्ट प्लान, लेआउट की जानकारी देनी होगी और सरकार से मंजूरी लेने के बाद ही कोई बिल्डर ग्राहकों को घर बेच पाएगा। मंजूरी लेने के बाद दो तिहाई होम बायर्स की इजाजत के बगैर प्रोजेक्ट में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। फंड डायवर्जन रोकने के लिए रेरा में कहा गया है कि बायर्स से मिलने वाला 70 पर्सेंट फंड बिल्डर को अलग बैंक एकाउंट में उस प्रोजेक्ट के लिए रखना होगा। अप्रैल-जून तिमाही में 7 शहरों में 20,000 नई यूनिट्स लॉन्च हुईं। जनवरी-मार्च तिमाही में इनकी संख्या 26,000 थी।



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