नई दिल्ली। ऑटो सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऑटो सेक्टर में कारों और मोटरसाइकिलों की बिक्री में कमी से बड़े पैमाने पर नौकरियों की कटौती हो रही है। कई कंपनियां अपने कारखानों को बंद करने के लिए मजबूर हैं। जानकारी के अनुसार वाहन निर्माता, कल-पुर्जे निर्माता और डीलर अप्रैल से अब तक करीब 3,50,000 कर्मचारियों की छंटनी कर चुके हैं।
ऑटो सेक्टर को पटरी पर लाने के लिए सरकार से वाहनों पर जी.एस.टी. दर घटाने समेत क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन पैकेज देने की मांग की जा रही है वाहन उद्योग से जुड़े दिग्गजों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की और उनका ध्यान उद्योग की चुनौतियों की ओर आकर्षित किया। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव, महिंद्रा एंड महिंद्रा के अध्यक्ष (वाहन क्षेत्र) और सियाम के अध्यक्ष राजन वढेरा ने कहा कि मांग में सुधार के लिए वाहनों पर जी.एस.टी. को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने की जरूरत है।
मांग घटने के बाद कई कंपनियों ने की छंटनी: जापानी मोटरसाइकिल निर्माता यामाहा मोटर और फ्रांस के वैलेओ और सुब्रोस सहित ऑटो कॉम्पोनेंट्स के निर्माताओं ने लगभग 1,700 अस्थायी श्रमिकों को निकाला है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने पिछले छह महीनों में अपने अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में 6 फीसदी की कटौती की है।, टाटा मोटर्स ने पिछले दो हफ्तों में अपने चार संयंत्रों को बंद कर दिया है।, महिंद्रा ने कहा है कि अप्रैल और जून के बीच उसके विभिन्न संयंत्रों में करीब 5 से 13 दिनों तक कोई प्रॉडक्शन ही नहीं हुआ।