नई दिल्ली। भारत का एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा 2017 में बढ़कर 17.3 प्रतिशत हो गया जो 2000 में 14.6 प्रतिशत था। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने एक रिपोर्ट में यह कहा। एडीबी की एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिये प्रमुख संकेतकों, 2018 पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार क्रय शक्ति समता (पीपीपी) आधार पर वैश्विक जीडीपी में एशिया और प्रशांत क्षेत्र की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र की वैश्विक उत्पादन में हिस्सेदारी आलोच्य अवधि में 30.1 प्रतिशत से बढ़कर 42.6 प्रतिशत हो गयी। यह हिस्सेदारी उत्तरी अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका तथा शेष दुनिया की कीमत पर बढ़ी। इन क्षेत्रों का योगदान क्रमश: 6.8 प्रतिशत, 4.7 प्रतिशत, 1.3 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत नीचे आया। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन, भारत और जापान की क्षेत्र के जीडीपी में पीपीपी के आधार पर हिस्सेदारी 2017 में 70 प्रतिशत रही जो 2000 में करीब 63 प्रतिशत थी।
इसमें चीन की हिस्सेदारी 2017 में 42.7 प्रतिशत रही जो 2000 में 25.1 प्रतिशत थी। एडीबी ने रिपोर्ट में कहा, ”क्षेत्र के जीडीपी में दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारत की है जो 2017 में 17.3 प्रतिशत थी जबकि 2000 में यह 14.6 प्रतिशत थी। वहीं जापान 2017 में 10.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
वर्ष 2000 में इसकी हिस्सेदारी 23.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र की आबादी 2017 में 4.14 अरब पहुंच गयी। यह दुनिया की कुल आबादी का 54.8 प्रतिशत है जो 2000 में 56 प्रतिशत था। इसमें कहा गया है कि दुनिया की 10 सर्वाधिक आबादी वाली अर्थव्यवस्थाओं में पांच एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हैं। इसमें सर्वाधिक चीन की आबादी 1.39 अरब तथा भारत की 1.31 अरब हो गयी है। सालाना जारी होने वाली रिपोर्ट का यह 49वां संस्करण है। इसमें एडीबी के 48 क्षेत्रीय सदस्यों के लिये आर्थिक, वित्तीय, सामाजिक तथा पर्यावरण संकेतकों के व्यापक आंकड़े दिये गये हैं।
