एक अच्छी सोच वाला इंसान अपने चेहरे को आकर्षक बना लेता है साथ ही अपने दायरे में आने वाले हर आदमी की खुशियों को शतगुणित करने में साझा रहता है। मायूस का मनोमीत बनकर उसके दर्द, गम, पीड़ा को महादेव बनकर पी लेता है। उसे अमृत बांटकर हंसते हुए जी लेता है। आइने के ऊपर आया छोटा सा स्क्रेच आपकी गुलाब सी स्माइल को फीका कर देता है। याद रखना अच्छी सोच के आइने पर स्क्रेच न आने पाए वरना तो में कई लोग ऐऐ घूमते हैं जिन्हें न तो कोई पहचानता है, न कोई पहचान बनाने की कोशिश करता है। बनी हुई पहचान बनाने की कोशिश करता है। बनी हुई पहचान भी खो जाती है। कभी-कभी अच्छी सोच वाले के भी दुश्मन देखे जाते हैं क्योंकि गुलाब के साथ भी कांटे कुदरत की करामात है फिर भी गुलाब अपनी मुस्कान और महक को बरकरार रखता है।
-चिंतनशीला वसुमति जी मा.सा.
‘आइना अपना’
178
previous post