इंदौर/एजेंसी- एक जुलाई से लागू माल और सेवा कर जीएसटी की नयी प्रणाली से मध्यप्रदेश के करीब 96.5 प्रतिशत पंजीबद्ध कारोबारी जुड़ गये हैं। लेकिन सरकार के इस महत्वाकांक्षी कर तंत्र की कथित विसंगतियों और जटिलताओं को लेकर कारोबारी तबके में अब भी असंतोष बरकरार है।
प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त कम्प्यूटर धर्मपाल शर्मा ने बताया कि सूबे के कारोबारियों के लिये जीएसटी नामांकन की प्रक्रिया गत 15 नवंबर से ही शुरू कर दी गयी थी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य के वाणिज्यिक कर विभाग में पंजीबद्ध 3,12,518 इकाइयों में से करीब 3,00,947 व्यापारिक प्रतिष्ठान यह नामांकन कराते हुए जीएसटी नेटवर्क से जुड़ चुके है।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश के उन शीर्ष राज्यों में शामिल है, जहां सबसे ज्यादा पंजीबद्ध कारोबारियों ने जीएसटी के लिये नामांकन कराया है। इस बीच, इंदौर के अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने दावा किया कि जीएसटी के लागू होने के बाद किराना, कपड़ा, र्साफा, अनाज और दाल-दलहन के कारोबार में औसतन 20 से 25 प्रतिशत की कमी आयी है। अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री अलग-अलग वस्तुओं के करीब 120 स्थानीय कारोबारी संगठनों की नुमाइंदगी करता है।
संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि खासकर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों के कारोबारियों में जीएसटी के पालन को लेकर असमंजस बरकरार है और उन्हें विभिन्न वस्तुओं पर इसकी अलग-अलग दरों को समझाने में भी खासी परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि पहले हमें लगता था कि जीएसटी के लागू होने के बाद देश में कर जमा करने की प्रक्रिया आसान होगी। लेकिन फिलहाल दुर्भाग्यवश ऐसा होता नहीं दिख रहा है। हमारी मांग है कि सरकार कारोबारियों के लिये जीएसटी के पालन को आसान बनाये, ताकि नयी कर प्रणाली को पेश करने का मूल मकसद पूरा हो सके।
