Friday, May 23, 2025 |
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36 साल बाद भी रोहिणी हाउसिंग स्कीम के आवंटियों को डीडीए नहीं दे पाई फ्लैट्स

by admin@bremedies
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नई दिल्ली/एजेंसी। भले ही डीडीए दावा कर रही हो कि रोहिणी आवासीय योजना-1981 के आवंटियों को जनवरी से अलॉटमेंट लेटर जारी करने का काम शुरू हो जाएगा, लेकिन क्षेत्र में चल रहे विकास कार्य को देखकर यह संभावना काफी अधिक है कि इस बार भी डीडीए अपनी इस डेडलाइन से चूक जाए। डीडीए के प्रिंसिपल कमिश्नर जेपी अग्रवाल ने पिछले दिनों दावा किया है कि मार्च 2018 तक सभी आवंटियों को अलॉटमेंट लेटर सौंप दिए जाएंगे। यह प्लॉट रोहिणी सेक्टर-34, 35, 36, 37 और 38 में दिए जाने हैं। इसकी वजह से हजारों की संख्या में अलॉटी सालों बाद भी किराये के मकान में रह रहे हैं। साल 1981 में 1 लाख 17 हजार प्लॉट के लिए यह स्कीम निकाली गई थी। लोगों की माने तो रोहिणी के इन सेक्टरों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। सेक्टर-28, 29, 30, 32 आदि में अलॉटमेंट किए जा चुके हैं, लेकिन अब भी वहां बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है। यहां बिजली, सीवर, सेफ्टी, पेयजल, मेडिकल, स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाओं की काफी कमी है। रोहिणी रेजिडेंशल स्कीम-1981 असोसिएशन काफी समय से डीडीए की नीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
एसोसिएशन के अनुसार डीडीए ने स्कीम निकालने से पहले दावा किया था कि अगले 5 सालों में प्लॉट पूरी तरह विकसित होंगे। लेकिन, अभी तक क्षेत्र को विकसित करना तो दूर कई सेक्टरों में बिजली के खंभे भी पूरे नहीं लगे हैं। जहां खंभे लगे हैं वहां लाइनें नहीं डाली जा सकी हैं। खाली पड़े प्लॉटों में जंगल होने से लोगों को यहां आने में भी डर लगता है। अलॉटियों का आरोप है कि 14-15 लाख रुपये जमा कराने के बाद भी डीडीए उन्हें प्लॉट नहीं दे पा रही है। इस स्कीम के लिए पिछले काफी समय से कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे आवंटी राहुल गुप्ता ने बताया कि मुझे अभी भी पजेशन नहीं मिला है। जिस हिसाब से इन सेक्टरो में काम चल रहा है उससे तो लगता है कि अगले 2-3 सालों तक डीडीए अलॉटमेंट लेटर जारी नहीं कर पाएगी।
डीडीए ने 9 फरवरी 1981 में एक लाख 17 हजार प्लॉट के लिए यह स्कीम शुरू की। 1,17,000 प्लॉट के लिए कुल 82,384 लोगों ने ही आवेदन किया। 1 नवंबर 1999 में डीडीए ने प्रस्तावित प्लॉट देने के मामले में संशोधन की बात कही। वहीं 2006 में डीडीए के खिलाफ इस लड़ाई को लडऩे के लिए रोहिणी रेजिडेंशल स्कीम-1981 असोसिएशन का गठन किया गया। साथ ही 2009 में इस मामले को लेकर अलॉटियों की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। अभी भी 26 मीटर, 32 मीटर और 60 मीटर के प्लॉट अलॉट किए जाने बाकी है। शुरुआत में डीडीए ने 70,000 लोगों को प्लॉट दिए और फिर प्लॉट की कमी की वजह से 30,000 लोगों का मामला लटका रहा।



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