नई दिल्ली। देशभर के अलग-अलग शहरों में 47 अरब डॉलर की 4.65 लाख यूनिट्स लेटलतीफी की शिकार हैं। प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेल्स में सुस्ती, नकदी की कमी और प्रॉजेक्ट की मंजूरी मिलने संबंधी दिक्कतों से डिवलेपर्स की हालत खराब हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1,687 प्रॉजेक्ट्स में 4,65,555 यूनिट्स में करीब 60 करोड़ वर्गफुट सेलेबल एरिया की डिलीवरी में देरी हो चुकी है। रियल एस्टेट डेटा और ऐनालिटिक्स फर्म की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन रिहाइशी यूनिटों की मौजूदा मार्केंट वैल्यू 3,32,848 करोड़ रुपये (47 अरब डॉलर से अधिक) है। प्रॉपइक्विटी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर समीर जसूजा ने कहा इन प्रॉजेक्ट्स में 2-8 साल की देरी हो चुकी है। यह भी बताना मुश्किल है कि ये प्रॉजेक्ट्स कब पूरे होंगे। ऐनालिटिक्स फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुछ मार्केंट में रियल एस्टेट सेक्टर में रिकवरी की शुरुआत हुई है, लेकिन 4.65 लाख यूनिट्स की डिलीवरी तय समय से काफी पीछे चल रही है। वहीं कंस्ट्रक्शन में देरी के चलते 3.3 लाख करोड़ (47 अरब डॉलर) के हाउसिंग प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं। गुडग़ांव, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में 1.22 लाख करोड़ की करीब 1.80 लाख यूनिट्स का भविष्य अधर में हैं। मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन में 1.12 लाख करोड़ की 1.05 लाख यूनिट्स का निर्माण भी अधूरा पड़ा है। इनमें मुंबई समेत नवी मुंबई और ठाणे का एरिया भी शामिल है। बेंगलुरु में भी 38,242 यूनिट्स के पजेशन में देरी हो रही है, जिनकी कुल वैल्यू 26,454 करोड़ है। यही हाल महाराष्ट्र की आईटी सिटी पुणे का है। यहां 14,111 करोड़ की 22,517 यूनिट्स पर काम पेंडिंग है।
