Wednesday, January 15, 2025 |
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‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेड इन इंडिया’ अभियान से वर्ल्ड क्लास प्रोडक्ट निर्माण की करनी होगी पहल: विमल शाह

by Business Remedies
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जयपुर। दुनिया भर की आधुनिक प्रौद्योगिकी में दक्ष कंपनियां ‘मेक इन इंडिया अभियान के तहत देश में वल्र्ड क्लास उत्पाद बनाये और देश की कंपनियां ‘मेड इन इंडिया अभियान के तहत आधुनिक प्रौद्योगिकी से दक्ष होकर वर्ल्ड  क्लास प्रोडक्ट किफायती व प्रतिस्पद्र्धी दरों पर बनाये, तब जाकर भारत वैश्विक स्तर पर और अधिक ग्रोथ कर पायेगा। यह कहना है कि जयपुर आधारित टेक्सटाइल कारोबार हितार्थ कार्य करने वाली प्रमुख संस्था ‘गारमेंट एक्सपोटर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थानÓ के अध्यक्ष विमल शाह का। बिजनेस रेमेडीज की टीम ने आगामी केन्द्रीय और राज्य बजट के संबंध में उनसे चर्चा की।
राजस्थान में विशेषकर जयपुर में टेक्सटाइल बिजनेस की ग्रोथ किस प्रकार हो रही है?
विमल शाह: जयपुर टेक्सटाइल और गारमेंट निर्यात के मामले में हब बन रहा है और निरंतर इस संबंध में प्रगति कर रहा है। इस क्षेत्र में करीब 5 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है और समय के साथ बढ़ते और विकसित होते टेक्सटाइल व गारमेंट निर्यात क्षेत्र में अधिक रोजगार संभावनाएं पैदा होंगी। वर्तमान में यहां की इकाईयों द्वारा करीब 5000 करोड़ रुपये का कारोबार निर्यात से और 5000 करोड़ रुपये घरेलू कारोबार से कर रही हैं और सरकारी वित्तीय अनुदान यह आंकड़ा 25000 तक पहुंच सकता है। जिससे देश व राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
यहां की टेक्सटाइल इकाईयों को आधुनिक प्रौद्योगिकी में किस प्रकार से दक्ष किया जा सकता है?
विमल शाह: टेक्सटाइल उद्योग से संबंधित विभिन्न प्रकार की आधुनिक प्रौद्योगिकी वैश्विक स्तर पर नियमित रूप से आती रहती हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर इन मशीनों और संबंधित प्रक्रियाओं के संबंध में उद्योगपति अवगत नहीं रह पाता है। टर्की और बांग्लादेश में जहां 26 आदमी नई प्रौद्योगिकीयुक्त मशीनों से 1 मिनट में 50 कपड़े बनाते हैं वहीं भारत में 50 आदमी 1 मिनट में 50 कपड़े निर्मित करते हैं। इसलिए देश में प्रौद्योगिकी पर विशेष फोकस देने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को औद्योगिक क्षेत्र में ही टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन सेंटर या कॉमन फेसिलिटी सेंटर्स स्थापित करने चाहिये। यहां पर वैश्विक मशीन निर्माता कंपनियां अपनी मशीनों को शोकेस कर सकती हैं और टेक्सटाइल उद्योगपति यहां पर नई प्रौद्योगिकीयुक्त मशीनों की खूबियों से अवगत हो सकता है।
टेक्सटाइल उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों व अन्य युवाओं को किस प्रकार से दक्ष किया जा सकता है?
विमल शाह: सरकार द्वारा स्किल डवलपमेंट योजना के माध्यम से बड़ी राशि खर्च की जा रही है। लेकिन फिर भी इंडस्ट्री को वांछित दक्ष कामगार नहीं मिल रहे हैं। इसलिए सरकार स्किल डवलपमेंट ट्रैनिंग को फेक्ट्रियों के साथ जोडऩा चाहिये। वहीं वर्तमान कर्मचारियों को भी इस योजना के तहत आधुनिक प्रौद्योगिकी में दक्ष किया जा सकता है। इससे जहां सरकार द्वारा खर्च राशि का वास्तविक फायदा देश को मिल सकेगा, वहीं उद्योगों को भी बड़ा फायदा होगा। इससे बड़े संख्या में प्रत्यक्ष तौर पर युवाओं को रोजगार भी मिल सकेगा। दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण रोजगार योजना को भी औद्योगिक इकाईयों से जोडऩा चाहिये। वहीं टेक्सटाइल उद्योग में महिलाओं को विभिन्न प्रकार की स्किल देकर विस्तृत स्तर पर रोजगार दिया जा सकता है।
टेक्सटाइल उद्योग में निर्यात करने के लिए सर्टिफिकेशन के संबंध में सरकार को क्या कदम उठाने चाहिये?
विमल शाह: टेक्सटाइल एक्सपोर्ट बिजनेस में डब्ल्यूआरएपी, सीडेक्स, बीएससीआई, जीओटीएस जैसे सर्टिफिकेशन आवश्यक हैं, जो कि काफी मंहगे हैं। सर्टिफिकेशन लेने और रिन्यूअल में 2 से 3 लाख रुपये की राशि लगती है। इसके अभाव में छोटे टेक्सटाइल कारोबारी निर्यात करने से पीछे हट जाते हैं। वहीं देश की बड़ी-बड़ी घरेलू कंपनियां जैसे रिलायंस, मैक्स रिटेल इत्यादि भी सिर्फ सर्टिफिकेट रखने वाली ही कंपनियों से ही माल खरीदती हैं। ऐसे में सरकार को टेक्सटाइल उद्योग की छोटी कंपनियों को सर्टिफिकेट लेने के लिए सब्सिडी प्रदान करनी चाहिये।
सरकार स्थानीय स्तर पर टेक्सटाइल एवं गारमेंट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्या कर सकती है?
विमल शाह: कंपनियों को बढ़ावा देन के लिए स्पेशल जोन स्थापित किया जा सकता है, जहां पर रिसाईक्लिंग पर विशेष फोकस होना चाहिये। आज पूरी दुनिया स्थायित्व को प्राथमिकता दे रही है और टेक्सटाइल उद्योग के वेस्ट से या अन्य वेस्ट से फेब्रिक निर्मित करके अगर टेक्सटाइल व गारमेंट निर्मित किया जायेगा तो यह टेक्सटाइल उद्योग के साथ प्रकृति के लिए भी अच्छा साबित होगा। खरीददारों में रिसाईकल्ड प्रोडक्ट खरीदने के प्रति अच्छा उत्साह है। इसके साथ ही रिन्यूबल एनर्जी जैसे सोलर इत्यादि के लिए लोन लेने वाली कंपनियों को ब्याज अदायगी में छूट दी जा सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों में कंपनियों को बैंक, पोस्ट ऑफिस, मोबाइल टॉवर्स इत्यादि को सबलीज पर जगह देने की छूट देनी चाहिये।
सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में कर्मचारियों की सहुलियत के लिए क्या कर सकती है?
विमल शाह: सरकार को औद्योगिक क्षेत्रों के नजदीक सस्ती दरों पर जमीन देकर लैबर के लिए डोरमेट्री और वन रूम बेडरूम वाली बहुमंजिला इमारतें निर्मित करनी चाहिये। इससे अधिक से अधिक कामगारों को रहने की सहुलियत होगी और वें बिना फिक्र के अच्छा काम कर सकेंगे



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