नई दिल्ली। अलसी में पिछले 3-4 महीने के मंदे के बाद आयुर्वेदिक कम्पनियों की लिवाली चलने एवं मंडियों में आवक टूट जाने से फिर से बाजार सुधरने लगे हैं। नीचे वाले भाव से दो/तीन रुपए की तेजी आ गयी है तथा इसी लाइन पर 10 रुपए और बढऩे के आसार बन गये हैं।
अलसी में इस बार सीजन पर ही ऊंचे भाव खुलने से अभी तक कारोबारियों को ब्याज-भाड़ा लगाकर 7/8 रुपए का नुकसान लग गया है, लेकिन वर्तमान भाव पर आयुर्वेदिक कम्पनियों की दो/तीन रुपए की तेजी आ गयी है। कानपुर लाइन में जो अलसी तीन दिन पूर्व 42/42.50 रुपए किलो बिक रही थी उसके भाव 44.50 रुपए बोलने लगे हैं। उधर ललितपुर, झांसी, हमीरपुर, बांदा, जबलपुर के साथ-साथ ऊरई, औरय्या एवं ग्वालियर लाइन में भी इसके भाव 43.50/44 रुपए बोलने लगे हैं। गौरतलब है कि अलसी की फसल मसूर के साथ आती है। इसका मुख्य उत्पादन पूर्वी यूपी एवं मध्य प्रदेश से लगते हुए क्षेत्रों में रबी सीजन में होता है। मार्च में इसकी फसल आई थी तो उक्त मंडियों में 47/48 रुपए भाव खुले थे, जिसमें अधिकतर स्टॉकिस्टों द्वारा माल खरीद लिया गया था, जो ग्राहकी कमजोर होने एवं बाहरी टे्रड के स्टॉकिस्टों की बिकवाली से 28 अगस्त तक भाव दबे रहे। अब जैसे ही आयुर्वेदिक कम्पनियों की हिमाचल, उत्तरांचल की लिवाली शुरू हुई है। यहां भी बाजार तेज होने लगे हैं। पहले अलसी की खपत तेल के रूप में यूपी-बिहार, एमपी में होती थी, जो अब आयुर्वेदिक औषधियों में होने लगी है। इससे रक्तचाप एवं मधुमेह जैसी बीमारियों की औषधियां बनने लगी हैं। इसके ेसाथ-साथ कोलस्ट्रोल कम करने के लिए भी हिमाचल में कई कम्पनियां टैबलेेट बनाने लगी हैं। यद्यपि यह एक तिलहन है, लेकिन इसका उपयोग औषधियों में होने से अब जड़ीबूटी में बिकने लगी है। यहां 58 से बढक़र तीन दिनों में 62 रुपए तक भाव बोलने लगे हैं तथा जल्दी 70 रुपए बन जाने की धारणा यहां बन गयी है। एमपी, यूपी की मंडियों में 50/52 रुपए लूज़ में भाव बन सकते हैं। एनएनएस
अलसी में 10 रुपए किलो की तेजी संभव
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