नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय एक ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहा है जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) को गैर प्रमुख संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त होने वाली पंूजी के एक हिस्से को लाभांश के रूप में सरकारी खजाने में जमा करना होगा। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। वहीं अधिकारी ने कहा कि रणनीतिक विनिवेश के लिए चयनित सार्वजनिक कंपनियों की गैर-प्रमुख संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त धन और शत्रुओं की अचल संपत्ति की बिक्री से जुटाई गई पंूजी को विनिवेश से प्राप्त आय के रूप में माना जाएगा।
केन््रदीय मंत्रिमंडल ने हाल ही रणनीतिक विनिवेश के तहत केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) की चिंहित गैर प्रमुख संपत्तियों और शत्रु संपत्ति संरक्षक के अधीन आने वाली अचल शत्रु संपत्ति के मौद्रिकरण के लिए व्यवस्था तैयार करने को मंजूरी दे दी है। नीति आयोग को सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न केन्द्रीय उपक्रमों (सीपीएसई) की गैर-प्रमुख संपत्तियों की सूची बनाने का काम दिया गया है।
अधिकारी ने बताया मजूबत और खराब स्थिति वाली सीपीएसई की गैर-मुख्य परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है , ताकि बिक्री से प्राप्त राशि का एक हिस्सा सरकार द्वारा लाभांश के रूप में प्राप्त किया जा सके।
सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए ‘लाभांश एवं मुनाफेÓ के रूप में 1.36 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
यह 2018-19 के 1.19 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इस राशि में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त लाभांश के रूप में धन और रिजर्व बैंक से अधिशेष हस्तांतरण शामिल है। अधिकारी ने कहा कि एक बार गैर- प्रमुख संपत्तियों के मौद्रिकरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया जाये तो वास्तविक प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से शुरू हो सकती है।
