जयपुर। कई सारी रिसर्च रिपोर्ट में सरसों तेल को दुनिया का सबसे अच्छा खाद्य तेल माना गया है। देश में राजस्थान सरसों तेल के उत्पादन में सबसे प्रमुख है और देश के कुल उत्पादन का करीब 50 से 55 प्रतिशत उत्पादन प्रदेश में होता है।
ऐसे में सरसों तेल उद्योग वांछित सरकारी सहयोग की सहायता से ही प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकता है। यह कहना है जयपुर के प्रमुख सरसों तेल उद्यमी मनोज मुरारका का। बिजनेस रेमेडीम की टीम ने सरसों तेल उत्पादन में राजस्थान की स्थिति, सरकार से मांग और वर्तमान फसल की स्थिति जैसे विषयों पर चर्चा की।
यह है सरसों तेल उत्पादन में राजस्थान की स्थिति: मुरारका ने बताया कि देश में प्रति वर्ष करीब ७० लाख टन सरसों का उत्पादन होता है और उसमें करीब ३५ लाख टन सरसों का उत्पादन राजस्थान में होता है। इस आधार पर पूरे देश के कुल सरसों उत्पादन का करीब ५० से ५५ प्रतिशत उत्पादन प्रदेश में होता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में करीब १८०० तेल निर्माण इकाईयों में सरसों तेल का निर्माण हो रहा है। वहीं इस उद्योग में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। सरसों कम पानी में पैदा होने वाली फसल है और प्रदेश के कम पानी वाले इलाकों में प्रमुखता से पैदा हो जाती है।
इसलिए सरसों उत्पादन बढ़त के साथ सरसों तेल के उद्योग को सरकारी आश्रय मिलना देश और राजस्थान के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सरकार से मांग: मुरारका के अनुसार सरकार को सरसों एवं सरसों तेल निर्यात बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। साथ ही कमजोर पड़ते सरसों तेल निर्माण उद्योग को उभारने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने बताया कि एमईआईएस स्कीम के अन्तर्गत एसेन्शियल ऑयल पर 5 प्रतिशत का लाभ दिया जा रहा है लेकिन सरसों तेल निर्माण उद्योग को इस स्कीम का फायदा नहीं मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि सरसों तेल की मांग उसमें पाये जाने वाले ०.२५ प्रतिशत से ०.६० प्रतिशत एसेन्शियल ऑयल के कारण ही है। ऐसे में इस स्कीम के तहत सरसों तेल पर लाभ की दर को बढ़ाकर १० प्रतिशत किया जाना चाहिए।
सोया डीओसी को एमईआईएस स्कीम के तहत १० प्रतिशत का लाभ मिलता है जबकि सरसों डीओसी को मात्र ५ प्रतिशत लाभ ही मिलता है। ऐसे में सरसों डीओसी के निर्यात को बढ़ाने के लिए इस पर लाभ की वर्तमान दर को बढ़ाकर १५ प्रतिशत किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के नोटिफिकेशन
क्र. ०१/२०१५-२०२ दिनांक ०६/०४/२०१८ के द्वारा देश में उत्पादित सभी खाद्य तेलों पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया लेकिन सरसों तेल को ५ लीटर की पैकिंग में ही निर्यात किये जाने के प्रतिबंध से सरसों तेल का निर्यात प्रभावित हो रहा है। सरकार को सरसों तेल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यह प्रतिबंद हटाना चाहिए। चुकि सरसों राज्य की प्रमुख फसल है और इसके साथ किसी के द्वारा भी सौतेला व्यवहार नही होना चाहिए इसके लिए राज्य को हर स्तर पर पुरजोर कोशिश करनी चहिए। उन्होने पाम तेल के ऊपर प्रतिबंध लगाने की भी गुजारिश की। उपरोक्त मांगों को राज्य सरकार ने वाजिब मानते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक पत्र जारी किया है।
सरसों उत्पादन की वर्तमान स्थिति: मुरारका के अनुसार देश में वर्तमान में ८ से १० लाख टन सरसों का स्टॉक मौजूद है। सरकार ने सरसों की एमएसपी ४२०० रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर ४४२५ रुपये प्रति क्विंटल कर दी है। सरसों के वर्तमान भाव इसी स्तर पर चल रहे हैं।
बुवाई करीब २० प्रतिशत कमजोर होने और बैमौसम बारिश के बाद शीत लहर और पाले से सरसों के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। इसके चलते सरसों के भाव का रूझान उपर की ओर रहने की संभावना है।