जयपुर। शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो द्वारा 17 दिवसीय हस्तशिल्प व सिल्क प्रदर्शनी का आगाज हुआ। इस प्रदर्शनी में देशभर के सिल्क के साथ ही नागालैंड के ड्राई फ्लावर लोगों को अपनी ओर अकर्षित रहे हैं तथा टेरकोटा की कलाकृतियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो के आशीष गुप्ता ने बताया कि देश की कला परंपरा विलुप्त होती जा रही है तथा कच्चे सामान की कीमतें बढऩे, बाजारवाद व ऑनलाईन मार्केंटिंग से हस्तशिल्प उद्योग को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस कला परंपरा को जीवित रखने के लिए ही इस प्रदर्शनी का आयोजन जेएलएन मार्ग स्थित जवाहर कला केंद्र में किया जा रहा है।
गुप्ता ने बताया कि इस प्रदर्शनी में कोलकाता से आए अजीत शर्मा केरला काटन पर हैंड पेंटिंग की साडिय़ां लाए हैं। इन साडिय़ों में उन्होंने केरला की संस्कृति के साथ ही ग्रामीण भारत की झलक को दिखाया है। सिल्क पर जामदानी का खूबसूरत काम भी उन्होंने प्रदर्शित किया है। साथ ही बनारस से आए संतोष सिंह अपने साथ हैंड पेंटिंग ड्रेस मैटेरियल लाए हैं। हैंड पेंटिंग के जरिए उन्होंने ऊँटो के साथ राजस्थान के रेगिस्तान में ग्रामीणों को दिखाया है। वहीं कृष्ण और गौतम बुद्ध के चेहरों की भावनाओं को भी प्रदर्शित किया है। साथ ही कांचीपुरम से आए राणा कांजीवरम की रियल सिल्वर जरी की साडिय़ां लाए हैं। इन साडिय़ों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ ज्वेलरी बॉक्स पर प्रदर्शित किया गया है, लगभग 6 महीने में बनने वाली साड़ी की कीमत 18,0000 रुपये तक है। राणा ने बताया कि इन साडिय़ों को बनाने में पूरे परिवार को जुटना पड़ता है। साथ ही प्रदर्शनी में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के शिल्पकारों ने अपनी अनोखी शिल्प कला से लोगों को अचंभित किया है। प्रदर्शनी में 60 से ज्यादा स्टॉल्स लगाए गए हैं। प्रदर्शनी में आई मीना लश्करी अपने साथ कपड़े की चिडिय़ा लाई है। यह चिडिय़ा जुट के पेड़ों पर चह चाहती नजर आ रही है। इसके अतिरिक्त मेले में बांस का फर्नीचर, जरदोसी वर्क लेदर की जूतियां, जुट के झूले, लखनवी चिकन, भैरवगढ़ का प्रिंट, नीमच तारापुर का दाबू प्रिंट, चंदेरी साडिय़ां, कॉटन के सूट साडिय़ां, सिल्क की साडिय़ां आदि प्रदर्शित की गई हैं । प्रदर्शनी 24 नवंबर तक चलेगी।