नई दिल्ली। लैंड रोवर ने अपनी 70वीं वर्षगांठ के जश्न को एक नये मुकाम पर पहुंचाया है। इसके लिये पश्चिम बंगाल में एक दूरदराज के ग्रामीण समुदाय की यात्रा की गई, जोकि अपने अस्तित्व के लिये क्लासिक मॉडलों के एक बेड़े पर निर्भर करता है।
‘लैंड ऑफ लैंड रोवर्स‘ के रूप में मशहूर यह क्षेत्र हिमायल की गहराई में एक ग्रामीण क्षेत्र है। यह वर्ष 1957 से अब तक अच्छी तरह से मेंटेन की गई सीरीज लैंड रोवर्स के एक बेड़े पर निर्भर है। इस बारे में एक फिल्म रिलीज की गई है। जिसमें भारत के पश्चिम बंगाल में मनीभानजंग के निवासियों द्वारा अपनी जीवन यापन के लिये संदाकफु तक किये जा रहे 31 किमी के आकर्षक सफर पर जोर दिया गया है। ढलान वाले क्षेत्र, चट्टानी पहाडिय़ां और बेहद सख्त मौसम कुछ सामान्य खतरें हैं, जिनका सामना यहां के निवासियों को रोजाना करना पड़ता है। यहां के लोग लगभग 3, 636 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी गांव से अपने लैंड रोवर्स में यात्रा करते हैं। लैंड रोवर की टीम ने सीरीज मॉडलों के उल्लेखनीय कलेक्शन का दौरा किया, जो भरोसेमंद एवं अजेय ऑल-टेरेन ट्रांसपोर्ट रूप में समुदाय के लिये एक महत्वपूर्ण भूमिका उपलब्ध कराती है। यह ऑरिजिनल लैंड रोवर की 70वीं सालगिरह है। लैंड रोवर ने 1948 में ऐमस्टर्डम में अपना डेब्यू किया था। लैंड रोवर सेलीब्रेशन्स की एक सीरीज के साथ समूचे 2018 में इस उपलब्धि का जश्न मना रहा है। इनमें एक स्पेशल ब्रॉडकास्ट, रिकॉर्ड-तोड़ कॉन्वॉईज और लंदन के डिजाइन म्यूजियम में डिस्प्ले शामिल हैं।
