जयपुर। घुटनों की चोट में सर्वाधिक चोटिल होने वाला लिगामेंट है एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (ए.सी.एल.)। लिगामेंट दो हड्डियों की संरचना को जोडऩे वाली इकाई है, जो हड्डियों की चाल (मूवमेंट) को आसान बनाती है। ज्यादातर खेलों में या किसी गंभीर चोट के कारण इस लिगामेंट को क्षति हो सकती है। इसके इलाज के लिए अब मामूली चीरे वाली अत्याधुनिक तकनीक डबल बंडल ए.सी.एल. रिकंस्ट्रेकशन आ गई है। जयपुर में भी अब यह नई तकनीक उपलब्ध हो गई है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ज्वाइन्ट रिप्लेसमेंट सर्जन व स्पोर्टस आर्थोस्कॉपी स्पेशलिस्ट डॉ. हेमेन्द्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि, ए.सी.एल. लिगामेंट की चोट खिलाडिय़ों में बहुत आम है, खेल के दौरान किसी गलत ढंग से मुडऩा या इस तरह की हरकत से यह समस्या हो सकती है। समय पर इलाज नहीं हो तो खेलना तो दूर चलना फिरना भी मुश्किल हो जाता है और घुटने में सूजन एवं लचक आ जाती है।
डबल बंडल देती घुटनों को मजबूती : विदेशों में लोकप्रिय डबल बंडल ए.सी.एल. तकनीक अभी देश में गिने-चुने सेंटर्स पर ही काम में ली जा रही है। डॉ हेमेन्द्र ने बताया कि ए.सी.एल. लिगामेंट में प्राकृतिक रूप से दो बंडल होते हैं, चोट आने पर या टूटने पर आमतौर पर सर्जरी की जरूरत होती है। सिंगल बंडल सर्जरी की अपेक्षा, लिगामेंट चोट में डबल बंडल सर्जरी घुटने को अत्याधिक मजबूती एवं स्थिरता प्रदान करने में एवं मूवमेंट आसान करने में ज्यादा कारगर है। यह सर्जरी तकनीकी रूप से जटिल है, इसलिए इसमें दक्ष व अनुभवी सर्जन जरूरी है। नारायणा हॉस्पिटल में कई मरीजों में यह तकनीक सफलतापूर्वक काम में ली गई है।
दो ग्राफ्ट से करते हैं लिगामेंट तैयार : डॉ. हेमेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि डबल बंडल ए.सी.एल. रिकंस्ट्रक्शन तकनीक में शरीर की हेमेस्ट्रिंग मसल्स से दो छोटे ग्राफ्ट लेकर दोबारा लिगामेंट तैयार किया जाता है। आर्थोस्कॉपिक तकनीक से इस सर्जरी में छोटा सा चीरा लगाया जाता है। मामूली चीरे के कारण मरीज की रिकवरी तेजी से होती है और वह अगले ही दिन से चल-फिर सकता है और दो-तीन महीने में खिलाड़ी फिर से मैदान में खेलजीवन शुरू कर सकता है।
लिगामेंट चोट से ऐसे करें बचाव : लिगामेंट की चोट से बचने के लिए खिलाड़ी अच्छे से वॉर्मअप एवं स्ट्रेचिंग करें तथा खेलने के बाद कूल-डाउन भी महत्वपूर्ण है साथ ही फिटिंग के स्पोर्ट्स शूज एवं स्पोर्ट्स एक्सेसरीज के साथ ही खेले तथा प्रशिक्षित स्पोर्ट्स ट्रेनर की निगरानी में ही जरूरी कसरत एवं खेल खेलें। साथ ही खेलते वक्त ध्यान रखें कि अचानक ना मुड़े एवं टखने को बचाकर ही खेलें।
लिगामेंट चोट में ए.सी.एल. रिकंस्ट्रेकशन तकनीक होती है कारगार सिद्ध
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