नई दिल्ली। रियल एस्टेट क्षेत्र में ग्राहकों के साथ लगातार धोखाधड़ी बढऩे की वजह से केंद्र की मोदी सरकार ने रेरा कानून बनाया था। उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि रेरा कानून लागू होने के दो साल बीत जाने के बाद अब रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढऩे से राहत दिखाई देने लगी है।
एक मई 2017 से लागू हुआ था रेरा कानून : रियल एस्टेट क्षेत्र में रियल एस्टेट नियमन और विकास कानून (रेरा) 2016 को एक मई 2017 से लागू किया गया था। सबसे पहले महाराष्ट्र सरकार ने ‘महा रेराÓ नाम से राज्य में इस कानून को लागू किया था।
देश के आठ महानगरों में रेरा लागू होने के बाद साल 2016 की दूसरी छमाही में जहां 68,702 आवासीय इकाइयों की परियोजनाएं शुरू हुई, वहीं 2017 की दूसरी छमाही में यह संख्या घटकर 40,832 इकाइयों की रह गई। इसके बाद साल 2018 की दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार देखा गया। 2018 में 89,509 फ्लैट के लिए नई परियोजनाएं शुरू की गईं। वहीं 2018 की पहली छमाही में 91,739 नई इकाइयों के लिए परियोजनायें शुरू हुईं। वर्ष 2017 की पहली और दूसरी छमाही में यह संख्या क्रमश: 62,738 और 40,832 रही थी।
एनारोक प्रापर्टी कंसल्टेंट्स के आंकड़ों के मुताबिक 22 राज्यों और छह संघ शासित प्रदेशों ने अपने रेरा कानून अधिसूचित कर दिए हैं। इनमें से 19 राज्यों के सक्रिय पोर्टल हैं। बंगाल में भी अब उसका सक्रिय पोर्टल है।
आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2018 में आंध्र प्रदेश में जहां 61 परियोजनाएं रेरा के तहत पंजीकृत हुई वहीं अब इनकी संख्या 307 तक पहुंच गई। गुजरात में 5,317 रेरा पंजीकृत परियोजनायें और 899 पंजीकृत एजेंट और एजेंसियां हैं। महाराष्ट्र में इस समय 20,718 परियोजनायें, 19,699 एजेंट रेरा के तहत पंजीकृत हैं। वही कर्नाटक में रेरा पंजीकृत परियोजनायें 2,530 और एजेंट 1,342 तक पहुंच गए।
रेरा कानून के दो साल पूरे, कई नई परियोजनाएं हुईं शुरू
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