नई दिल्ली। अंतरिम बजट में मिली रियायतों के असर को लेकर अब भी रियल एस्टेट सेक्टर आकलन में जुटा है। हालांकि सीधे तौर पर सेक्टर को सिर्फ नोशनल रेंट पर टैक्स में दो साल की मोहलत मिली है, जिसका मकसद बड़े पैमाने पर लंबित इनवेंटरी क्लियर करना है। जानकारों का कहना है कि इससे सिर्फ 9 प्रतिशत इनवेंटरी पर ही रियायत मिलेगी और वह भी बायर्स की बार्गेनिंग क्षमता कम करेगी, क्योंकि डिवेलपर्स एक साल और टैक्स फ्री स्टॉक रखने की हालत में होंगे। ऐसे में उन पर डिस्काउंट का दबाव घटेगा।
ऐनरॉक प्रॉपर्टी के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार ने बताया कि डिवेलपर के पास निर्मित मकान अगर एक साल से ज्यादा पड़े रहते हैं तो उस पर नोशनल रेंट टैक्स लगता था। अब सरकार ने मोहलत एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दी है। अभी देशभर में 6.73 अनसोल्ड इनवेंटरी है, जिसमें 85,000 मकान पूरी तरह तैयार हो चुके हैं। लेकिन टैक्स छूट का फायदा सिर्फ 63,000 मकानों को मिलेगा, क्योंकि बाकी 22,000 मकान 2017 के पहले पूरे हो चुके थे।
उन्होंने कहा कि यह छूट बायर्स के मुकाबले रियल्टर्स को ज्यादा राहत देगी और उन पर कीमत में डिस्काउंट का दबाव कम होगा। ऐसे में बायर्स के लिहाज से देखें तो रेडी मकानों पर वह भारी भरकम छूट से महरूम हो सकता है। अभी तक डिवेलपर एक साल के बाद हर हाल में मकान बेच देना चाहते थे।
अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री बढ़ेगी : नाइट फ्रैंक इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अरविंद नंदन ने बताया कि बेसिक इनकम टैक्स, स्टैंडर्ड डिडक्शन, रोलओवर संबंधी प्रावधानों सहित इनकम टैक्स में जितनी भी रियायतें मिली हैं, उनका इनडायरेक्टली रियल एस्टेट को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा और अफोर्डेबल सेगमेंट में घरों की बिक्री में तेजी आएगी।
रेडी टू मूव मकानों पर डिस्काउंट में आएगी कमी
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