जयपुर। कल के स्वास्थ्य देखभाल सिस्टम के बारे में स्वतंत्र परिचर्चा और शिक्षा के लिए एक मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अग्रणी स्वास्थ्य क्षेत्र प्रबंधन यूनिवर्सिटी, आईआईएचएमआर ने अपने वार्षिक कार्यक्रम प्रदन्या के 23 वें संस्करण प्रदन्या 2018 का समापन किया। कार्यक्रम के दौरान ब्रेकथ्रू तकनीकों, सुधार व खोज और उनके स्वास्थ्य सेवाओं की डिलिवरी पर वर्तमान समय में एवम भविष्य में पडने वाले प्रभाव के बारे में बेहद प्रभावशाली परिचर्चा की गई।
इस दौरान क्षेत्र से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों ने अपना अभिभाषण प्रस्तुत किया। जिनमें डॉ. इंदु भूषण, सीईओ आयुष्मान भारत: राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन, नवीन जैन, राजस्थान सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन डायरेक्टर डॉ.अनिल अग्रवाल, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूनिसेफ राजस्थान, डॉ चंद्रकांत लहरिया, तकनीकी ऑफिसर, हेल्थकेयर एवं एक्सेस, डब्ल्यूएचओ, भारत, डॉ. चिराग त्रिवेदी, डायरेक्टर एवम हेड ऑफ क्लीनिकल स्टडी यूनिट, सनोफी इंडिया और कॉन्फ्रेंस में सरकारी, प्राइवेट और सामाजिक एवं विकास क्षेत्र, स्वास्थ्य उद्योग, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं, अकादमिक रिसर्च से जुड़े कई के तमाम कार्यकारियों और प्रबंधन अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
इस साल की कॉन्फ्रेंस की थीम थी ‘रीइमैजिनिंग हेल्थकेयर यस्टरडेज ड्रीम्स टुमॉरोज रियलिटी। कॉन्फ्रेंस के दौरान ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य देखभाल की समानता सम्बंधी जरूरतों इसकी चुनौतियों और उससे निबटने के तरीकों को भी सामने लाया गया।
विविध क्षेत्रों के सन्योजन से स्वास्थ्य देखभाल डिलीवरी में सुधार, आयुष्मान भारत, ग्रामीण विकास में एसडीजी लागू करने सम्बंधी भारत के अनुभवों, नई दवाओं, टीकों की खोज, अस्पतालों, का बदलता कल्चर और स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में हुई नई प्रगति आदि को तहत हुए भारत में बीमारियों के बोझ के मामले में आए बदलावों पर भी चर्चा की गई। वहीं बेहतरीन प्रैक्टिस से जुडी जानकारियों और ज्ञान के प्रसार एवं आधुनिकतम सिस्टम सम्बंधी जानकारियों को साझा करने में कॉन्फ्रेंस की भूमिका बेहद अहम होती है जिससे नए विचारों का आदान-प्रदान होता है और इससे अंतत: सामाजिक और आर्थिक विकास को गति मिलती है।
भारत सरकार के आयुष्मान भारत मिशन के सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य देखभाल का खर्च आज भी इतना अधिक है कि इलाज पर खर्च के चलते हर साल 7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंच जाते हैं और जब परिवार की रोजी रोटी चलाने वाला खुद बीमार हो जाए तब असर कहीं और अधिक गहरा होता है। भारत की गरीब 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है जबकि अधिकतर टर्शरी हेल्थकेयर की सेवाएं जो कि बेहद महंगी हैं।
इसी प्रकार एनएचएम के प्रबंध निदेशक नवीन जैन ने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत राजस्थान में 59 लाख लाभार्थियों की पहचान की गई है, जबकि 90 लाख लाभार्थियों को पहले ही सेवाएं दी जा चुकी हैं। वहीं डॉ. प्रोफेसर पंकज गुप्ता, प्रेसिडेंट आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर ने कहा कि हर व्यक्ति को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के प्रति प्रबद्ध और समाज में बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहे लोगों के लिए यह कॉन्फ्रेंस प्रेरणा का बेहतरीन स्रोत है।
भारत के स्वास्थ्य देखभाल का भविष्य विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस का समापन
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