Home बैंकिंग बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ के अंतर्गत 12 चयनित प्रविष्टियों की लॉन्गलिस्ट घोषित की

बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ के अंतर्गत 12 चयनित प्रविष्टियों की लॉन्गलिस्ट घोषित की

by Business Remedies
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बिजऩेस रेमेडीज/मुंबई
बैंक ऑफ बड़ौदा ने ‘बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मानन 2023 के प्रथम संस्करण हेतु नामित 12 उपन्यासों की लॉन्गलिस्ट की घोषणा की। इस अनूठे अवार्ड की शुरुआत (संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल) विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्यिक लेखन को सम्मानित और संवर्धित करने हेतु की गई है। साथ ही, इसका उद्देश्य हिंदी पाठकों को अनुवाद के जरिए श्रेष्ठ भारतीय साहित्य को उपलब्ध कराना है ताकि पाठकों की रूचि को विस्तार प्राप्त हो सके और उपन्यासों को एक बड़े पाठक वर्ग तक पहुंचाया जा सके।
बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान मूल कृति के लेखक के साथ-साथ उसके हिंदी अनुवादक को भी प्रदान किया जाएगा। विजेता कृति के मूल लेखक तथा उसके हिंदी अनुवादक को क्रमश: रु. 21 लाख तथा रु. 15 लाख की सम्मान राशि दी जाएगी। इसके अलावा अन्य-5-चयनित श्रेष्ठ कृतियों के मूल लेखकों और उनके हिंदी अनुवादकों को रु. 3.00 लाख व रु. 2.00 लाख की सम्मान राशि दी जाएगी।
लॉन्गलिस्ट की घोषणा करते हुए संजीव चड्ढा, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी, बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है- जहां संस्कृतियां, धर्म और भाषाएं एक दूसरे की पूरक हैं। इसकी विविधता ही इसकी शक्ति और विशिष्टता है। हमारा मानना है कि सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य के संवर्धन से हमारी सांस्कृतिक विविधता और सुदृढ़ होगी। हमने बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान की शुरुआत भारतीय भाषाओं के मूल साहित्य और उनके हिंदी अनुवाद को सम्मानित और प्रोत्साहित करने हेतु की है। बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान देश के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभावान भारतीय लेखकों को राष्ट्रीय मंच प्रदान करेगा तथा भारतीय भाषाओं के साहित्य लेखन और उनके अनुवाद कर्म को बढ़ावा देगा।
सम्मान निर्धारण हेतु गठित पांच सदस्यीय निर्णायक मंडल की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखिका और बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि कर रही हैं। निर्णायक मंडल के अन्य चार सदस्यों में प्रसिद्ध कवि अरुण कमल, शिक्षाविद् और इतिहासकार पुष्पेश पंत, समकालीन भारतीय कवयित्री और उपन्यासकार सुश्री अनामिका और हिंदी कथा लेखक और अनुवादक प्रभात रंजन शामिल हैं।

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