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राजपूताना की नारी सब पर भारी

राजस्थान की नारी शक्ति ने सभी क्षेत्रों में अपनी पहचाना स्थापित की है। पत्रकारिता की बात की जाए तो कमला देवी मरू प्रदेश राजस्थान की प्रथम महिला पत्रकार रही है। अजमेर से प्रकाशित पत्र प्रकाश से उन्होंने लिखना शुरू किया। उन्होंने सामाजिक समस्याओं पर लिखकर अपनी पहचाना बनाई। ऐसे ही बूंदी के स्वतंत्रता सेनानी नित्यानंद नागर की पुत्रवधु सत्यभामा ने वर्ष 1932 में ब्यावर अजमेर आंदोलन का नेतृत्व किया। बीकानेर के स्वतंत्रता सैनानी वैद्य मघाराम की बहन खेतूबाई ने दूधवा खारा किसान आन्दोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया और आजीवन खादी पहनने का प्रण लिया।
जयपुर के वैद्य गंगा साहय के घर में जन्मी रमा देवी 11 वर्ष की उम्र में ही बाल विधवा हो गई। बाद में गांधीवादी विचारक लादूराम जोशी से पुनर्रविवाह हुआ और जीवनभर खादी पहनकर नौकरी छोड़ पति के साथ राजस्थान सेवा संघ का कार्य शुरू किया। वर्ष 1931 में बिजोलिया आंदोलन में भाग लेने पर गिरफ्तार हुई। रतन व्यास का जन्म खाचरोद मध्यप्रदेश में हुआ इनका विवाह हीरालाल शास्त्री से हुआ।विवाह बाद रतन शास्त्री ने वर्ष 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन में भूमिगत कार्यकर्ताओं और उनके परिवार की सेवा की। वर्ष 1955 में रतन शास्त्री को पद्मश्री से सम्मानित किए गया। वर्ष 1957 में उन्हे पद्म विभूषण सम्मान मिला। वे यह पुरस्कार पाने वाली राजस्थान की प्रथम महिला रही है।
उमेन्द्र दाधीच
@बिज़नेस रेमेडीज

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