बिजनेस रेमेडीज़/जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र भारत की सबसे बड़ी ताकत है। पूरी दुनिया के लिए भारत प्रजातांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से आदर्श राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि सदन में प्रत्येक सदस्य का आचरण अनुकरणीय और मर्यादित होना चाहिए। यदि सदन परिवार की तरह चलेगा तो देश-प्रदेश का हित होगा।
धनखड़ मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में 16वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने की जबकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की इस अवसर पर गरिमामय उपस्थिति रही।
इस अवसर पर धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र में विकास रूपी गंगा की शुरूआत विधायिका से होती है। विधायिका का यह दायित्व है कि वह न्यायपालिका और कार्यपालिका को सही दृष्टिकोण में रखकर कार्य करे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष का कर्तव्य सरकार के कार्यों की सकारात्मक आलोचना करना होता है, जिसका लाभ सरकार को मिलता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल से जुड़े नहीं होते हैं। उनका पहला कर्तव्य है कि वह प्रतिपक्ष का संरक्षण करें। हालांकि कई बार उन्हें कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। यदि वे अपने कर्तव्य पर अडिग रहते हैं तो नतीजे सर्वदा अनुकूल ही प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी पक्ष-विपक्ष, दोनों की होती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से काफी बदल चुका है। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति बन चुका है और आगामी वर्षों में यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से दुनिया में तीसरे पायदान पर होगा। भारत वर्तमान में जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उससे पूरी दुनिया अचंभित है। देश को यहां तक पहुंचाने में सरकार और विपक्ष के साथ ही आम नागरिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि स्वतंत्रता और प्रजामंडल आन्दोलनों में लोकतांत्रिक मूल्यों का बड़ा महत्व रहा है। उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित सदस्यों को सदन की प्रक्रिया, कार्य संचालन एवं आचरण सम्बन्धी नियमों से अवगत करवाने के लिए यह प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया है। सभी सदस्यों को नियमों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम से संसदीय पद्धति, प्रक्रिया, कार्य संचालन के नियम, अभिसमय, शिष्टाचार और परंपराओं से जुड़े विभिन्न आयामों को समझने का सुअवसर मिला है। इससे लोकतांत्रिक ढांचे में विधानमंडलों की संवैधानिक भूमिका और स्थिति की बेहतर समझ हो पाएगी।
प्रजातांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से दुनिया के लिए आदर्श राष्ट्र है भारत : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
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