Home इंटरनेशनल दो दिवसीय इंटरनेशनल स्टोन टेक्नोलॉजी कांफ्रेंस में मंदी से उभरने, मार्बल वेस्ट के मैनेजमेंट व तकनीकी दक्षता इत्यादि विषयों पर हुआ गहन मंथन

दो दिवसीय इंटरनेशनल स्टोन टेक्नोलॉजी कांफ्रेंस में मंदी से उभरने, मार्बल वेस्ट के मैनेजमेंट व तकनीकी दक्षता इत्यादि विषयों पर हुआ गहन मंथन

by Business Remedies
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उदयपुर। उदयपुर में 19 और 20 दिसम्बर को ग्लोबल स्टोन टेक्नोलॉजी फोरम द्वारा सीडोस, फिक्की और रीको के सहयोग से दो दिवसीय इंटरनेशनल स्टोन टेक्नोलॉजी कांफ्रेंस का आयोजन चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्टी के सभागार में किया गया। कांफ्रेंस में मंदी से उभरने के तरीकों, मार्बल वेस्ट मैनेजमेंट व तकनीकी दक्षता इत्यादि विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा गहन मंथन किया गया।
विभिन्न सत्रों में आरिफ शेख ने स्टोन टेक कमिंग ऑफ एज, अंशुल राठी ने खनन में डोन की उपयोगिता पर, महेश वर्मा ने बिल्डिंग एक्सटम डबल स्ट्रक्चर यूजिंग स्टोन ब्लॉक्स के प्रयोग पर जानकारियां दी। पोलेंड से आए संजय कुमार शर्मा बदलती आवश्यकताओं के अनुसार मार्बल की सुंदरता को बारीकि से अंजाम देने की आवश्यकता है। इसके लिए नई मल्टी वायर स्टोन कटिंग मशीन को तैयार किया गया है। जिससे मार्बल स्लैब की कटिंग में इतनी बारीकी रहती कि उसमें वेस्टेज की आंकडा भी कम हो जाता है। इस दौरान यूसीसीआई के अध्यक्ष रमेश सिंघवी, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति के वर्तमान अध्यक्ष बनाराम चौधरी व पूर्व अध्यक्ष शरद कटारिया सहित कई मार्बल उद्यमी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। आयोजन में सीडोस के वाइस चेयरमैन अशोक कुमार धूत, सीईओ मुकूल रस्तोगी, प्रकाश पोखरना, यूसीसीआई अध्यक्ष रमेश सिंघवी, विजय गोधा सहित कई मार्बल उद्यमी व गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।
इन विषयों पर हुई चर्चा: कांफ्रेंस में मेंटेनेंस प्रोसेस इंपोर्टेंस इन स्टोन इंडस्टी, मेटेरियल हेंडलिंग मशीनरी, वॉयर ऑपरेशंस, सेफ्टी व हेल्थ इश्यू, एडवांस टेक्नोलॉजी इन नेचुरल स्टोन सेक्टर, सोल्यूशन फॉर सक्सेसफूल टाईल इंस्टालेशन, गेनफूल यूटिलाइजेशन ऑफ स्टोन वेस्ट, न्यू डवलपमेंट इन स्टोन प्रोसेसिंग मशीन आदि विषयों पर चर्चा हुई। समापन पर कोबालको के रवी धाभाई ने बताया कि इको फ्रेंडली और कम लागत में ज्यादा काम करने वाली मेटेरियल हैंडलिंग मशीनें पर्याप्त मात्रा में बाजार में उपलब्ध हंै। आधुनिक तकनीक से डिजाइन इन मशीनरी से किसी भी तरह की खुदाई संभव है। उद्यमी हरिमोहन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में मार्बल की फिनिशिंग को लेकर उपभोक्ता जागरूक रहते हैं।
समय के साथ रेडी टू फिक्स का कांसेप्ट आवश्यक: विशेषज्ञों द्वारा कांफेंस में बताया गया कि वर्तमान में विट्रिफाईड टाईल्स प्रमुखता से इस्तेमाल हो रही है, क्योंकि वो रेडी टू फिक्स स्थिति में होती है। ऐसे में यदि मार्बल टाईल्स को भी रेडी टू फिक्स का स्वरूप दिया जाये तो वांछित फायदा मिल सकता है।
तकनीक पर विशेष ध्यान: कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने बताया कि स्टोन इंडस्ट्रीज को वैश्विक पहचान स्थापित करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना जरूरी है। साथ ही सूचनाएं साझा कर अंतरराट्रीय मानकों पर खरा उतरना होगा। तकनीक का उपयोग कर मार्बल के वेस्ट मैनेजमेंट और वेस्ट के बेस्ट यूज पर ध्यान देना होगा।
जरूरी है वेस्ट का बेस्ट उपयोग: वरिष्ठ वैज्ञानिक अशोकन पप्पू के अनुसार पहले जहां दीवारों एवं अन्य कार्यों में मार्बल वेस्ट का उपयोग होता था, अब दरवाजे और खिड़कियों सहित घरेलू उपयोग के कई वस्तुओं में इनका उपयोग होने लगा है। इसके अतिरिक्त सौंदर्य प्रसाधन एवं दवाईयों में भी इसकी उपयोगिता साबित हुई है। अब स्थिति यह है कि करीब-करीब हर उद्यम में पहले वेस्ट के बेस्ट उपयोग पर ही बात होती है।
रोबोटिक टेक्नोलॉजी से आकर्षक निर्माण : टेक्नोलाईन रोबो मशीनरी के निदेशक सुभाष चौधरी ने बताया कि रोबोटिक टेक्नोलॉजी की सहायता से कम मेहनत, कम समय और पूरी दक्षता के साथ मुश्किल ढांचे को हू-ब-हू बना सकते हैं। रोबोटिक टेक्नोलॉजी से हेरिटेज मोन्यूमेंट बनाने में काफी सहायता मिल जाती है। मार्बल से एंटिक उत्पाद प्रमुखता से निर्मित हो रहे है, जो बिना रोबोटिक टैक्नोलॉजी के संभव नहीं हो पाता है।
आर्किटेक्ट्स ने साझा किए सुझाव: कांफ्रेंस के अंतिम स़त्र में प्रमुख आर्किटेक्ट्स शालिन हरलालका, मुकूल गोयल, अयान सेन, अनुपम मिततल, चरणजीतसिंह शाह, राजेंद्र मंत्री, वीरेंद्र खुराणा ने प्रश्नोत्तरी सत्र में उद्यमियों को जमीनी स्तर की समस्याओं पर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। आर्किटेक्ट्स ने कहा कि यदि स्कील्ड लेबर पर ध्यान दिया जाएगा तो पत्थर उद्योग को नई उचाईयां दी जा सकती हैं।
” वर्तमान में स्टोन प्रोसेसिंग सेक्टर काफी चुनौतिपूर्ण होता जा रहा है, लेकिन स्टार्टअप को गहनता से समझा जाए या उसके परिणामों पर फोकस किया जाए तो इस क्षेत्र में कोई गंभीर समस्या नहीं है। वर्तमान में मार्बल के वेस्ट को लेकर कई तकनीकें अपनाई जा रही है। जिससे वेस्ट की संख्या कम हुई है और इनोवेटिव आइडिया ने नई पहचान भी दिला दी है।
अशोक धूत, वाईस चेयरमैन, सीडोस
” ब्लॉक कटिंग के दौरान या कटिंग के बाद टूट जाते थे। ऐसे में उन्हें चिपकाया भी जाता था, लेकिन पर्याप्त पैसा नहीं मिलता था। हमनें प्रयोग किया कि एयर कंटेनर बनाया और ब्लॉक को कटिंग पर भेजने से पहले ही उसमें रेजिन डाल दिया जाता। इससे ब्लॉक इतना मजबूत हो जाता कि वो कटिंग के दौरान भी नहीं टूटता और पता नहीं चलता कि दरार थी या नहीं। इससे वेस्ट शून्य रह गया। एक प्रयोग ब्लॉक को खिसकाने में किया और एयर बैग को दो ब्लॉक में फंसाकर हवा से ब्लॉक खिसकाने का कार्य किया। परिणाम यह रहा कि कम समय और कम मेन पावर में काम होने लगा।
मैसिमो बेसचेरिनी, सीईओ, रेपोक्स, इटली

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