Saturday, September 14, 2024
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दिल्ली एनसीआर के लिए बन सकता है अलग से रेरा, लाखों फ्लैट खरीदारों की समस्या होगी दूर

by admin@bremedies
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नई दिल्ली। हरियाणा की तर्ज पर उत्तरप्रदेश में दो रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के गठन का प्रस्ताव प्रदेश की उच्च स्तरीय कमेटी ने दिया है। दूसरा रेरा केवल दिल्ली एनसीआर के लिए गठित करने का प्रस्ताव है, जिसका मुख्यालय नोएडा या ग्रेटर नोएडा में हो सकता है। इससे पहले हरियाणा में भी रेरा का गठन किया गया था, लेकिन गुरुग्राम में ज्यादा समस्या होने से एक और रेरा का गठन किया गया है। दरअसल नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के अधीन लाखों पलैट खरीदारों को मुश्किलों से उबारने के लिए उत्तरप्रदेश शासन ने केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन 18 जून किया था। कमेटी ने 25 जून, 10 जुलाई और 3 अगस्त को बैठकें की। इसमें खरीदारों, बिल्डरों व अन्य संस्थाओं को बुलाकर समस्याएं सुनीं गई। इसके अलावा दो बैठकें कुछ अन्य कंपनियों के साथ की गई। इसके बाद एक रिपोर्ट तैयार की गई। इसी रिपोर्ट में कमेटी ने कुछ प्रस्ताव उत्तरप्रदेश सरकार, प्राधिकरणों व वित्तीय संस्थानों को दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि रियल एस्टेट एक्ट 2016 के मुताबिक जरूरत पडऩे पर एक से अधिक रेरा का भी गठन किया जा सकता है। उच्चस्तरीय कमेटी ने यह रिपोर्ट उत्तरप्रदेश शासन के मुख्य सचिव को दी है।
उच्च स्तरीय कमेटी ने दिए प्रस्ताव : आरबीआई अलग से गाइडलाइंस बनाए और बैंकों को जारी करे, ताकि उनकी ओर से वित्तीय सहायता मिलने के बाद बिल्डर प्रोजेक्टों को उबारा जा सके।
साथ ही अंतिम समय में जो निवेशक पैसा लगाएगा उसे प्रोजेक्ट पूरा होते ही पहले चरण में ही फायदा लेकर बाहर जाने की अनुमति मिलेगी। यह लिफो विधि पर होगा यानी लास्ट-इन, फर्स्ट आउट। वहीं प्राधिकरणों की ओर से प्रोजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी (पीएसपी) फिर से लाई जाए। हालांकि, पहले की अपेक्षा में इसमें कुछ संशोधन होने चाहिए। यह संशोधन जीरो पीरियड को लेकर हो। इसमें प्रभावित भूमि के 10 से 30 प्रतिशत क्षेत्रफल के मुताबिक बिल्डर को 25 से 100 प्रतिशत तक की छूट का प्रस्ताव हो सकता है। तीन साल में अगर प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया तो पीएसपी का लाभ नहीं मिलेगा।
एक ही प्रॉपर्टी को बार-बार बेचने की शिकायतें मिली हैं। लिहाजा, अगर एक खरीदार बुकिंग कराता है तो उसे एग्रीमेंट टू सेल डीड की सब-रजिस्ट्रार के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा जिसकी फीस मामूली होगी। इससे दूसरे लोग फायदा नहीं उठा पाएंगे। इसी प्रकार प्रदेश सरकार एक नीति बनाए।

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