Wednesday, January 15, 2025 |
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तेज उतार-चढ़ाव के दौर में ग्वार किसानों का जोखिम कम हो सकता है ‘काल-पुट’ ऑप्शन से

by admin@bremedies
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धैर्यवर्धन सिंह राजावत
बिजनेस रेमेडीज/जयपुर। राजस्थान ग्वार का प्रमुख उत्पादक राज्य है। इसकी कीमत में आने वाले तेज उतार-चढ़ाव से बचाव के लिए किसानों को आधुनिक वित्तीय विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए। वर्तमान में एनसीडीएक्स द्वारा उपलब्ध ‘काल-पुट’ ऑप्शन से किसान कम लागत में अपनी जोखिम को कम कर सकते हैं।
राजस्थान में ग्वार की कृषि: राजस्थान और गुजरात के कम वर्षा और अल्पसिंचित वाले क्षेत्रों के लिए ग्वार की फसल आदर्श साबित होती है। ग्वार की कीमतों में गिरावट के चलते इस बार यह माना जा रहा था कि किसान कपास, अरंडी या तो दलहन की फसल को प्राथमिकता देगें लेकिन जैसे ही ग्वार के भाव ३८०० रुपये प्रति क्विंटल के उपर गये तो किसानों का रुझान फिर से ग्वार की ओर हो गया। गौरतलब है कि गत वर्ष की समान अवधि में राजस्थान और गुजरात में ग्वार की २५.५० लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हुई थी। जबकि इस वर्ष अब तक २६.७५ लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में ग्वार की बुवाई हो चुकी है। उल्लेखनीय है की फसल मंडियों में आने पर किसान को अच्छे भाव नहीं मिलते हैं, ऐसे में आगामी समय में ग्वार के भावों में गिरावट या बड़ी तेजी आने की स्थिति में किसानों को जोखिम कम करने की रणनीति के तहत ‘काल-पुट’ ऑप्शन को समझना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार ग्वार की किसानों की लागत प्रति क्विंटल २००० से २२०० रुपये पड़ती है।
ऐसे में समझें किसान
‘काल-पुट’ ऑप्शन की गणित

वर्तमान में ग्वार का १६ अक्टूम्बर एक्सपायरी वाला वायदा करीब ४३६८ रुपये प्रति क्ंिवटल और २० नवम्बर एक्सपायरी वाला ग्वार वायदा करीब ४४०२ रुपये प्रति क्ंिवटल चल रहा है। इसका लॉट साईज १० मिट्रिक टन का है। अगर किसान यह सोचता है कि फसल आने पर मुझे कम से कम ४४०० रुपये का भाव मिलना चाहिए जो कि मेरी लागत और खर्चें के मुताबिक वाजिब है तो उसे यहां पर पुट ऑप्शन लेना चाहिए। इसके लिए किसान को लगभग १० हजार की राशि प्रीमियम के रूप में देनी होगी और इससे ग्वार के भाव की डाउन रिस्क कवर हो जायेगी।
अगर मान लें कि पुट ऑप्शन के लिए किसान ने १०० रुपये का प्रीमियम दिया तो अगर भाव अक्टूम्बर एक्सपायरी पर ४००० रुपये हो जाते हैं। तो ग्वार किसान को ४४०० में से १०० रुपये प्रीमियम और वर्तमान भाव ४००० रुपये घटाने पर ३०० रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से ३० हजार रुपये मिल जायेंगे। वहीं अगर भाव अप्रत्यक्ष रूप से बढक़र ५००० रुपये प्रति क्ंिवटल हो जाते हैं, तो इस पर किसान की लागत १०० रुपये लगेगी और किसान हाजिर बाजार में ग्वार को बेच सकता है। अगर ग्वार ५००० रुपये प्रति क्ंिवटल के भाव से बिकती है तो किसान को ४४०० रुपये और १०० रुपये की प्रीमियम लागत के हिसाब से ५००० में ४५०० रुपये घटाने पर ५०० रुपये प्रति क्ंिवटल का फायदा होगा।
यह रणनीति ग्वार के भावों में तेज गिरावट और तेजी के दौर में काम आती है। गौरतलब है कि जब भी किसानों की आवक बाजार में आती है तो मांग-आपूर्ति में अंतर के चलते किसी कमोडिटी के भावों इस प्रकार की तेजी और मंदी अवश्य आती है। ऐसे में किसान न्यूनतम राशि खर्च कर अधिकत्तम फायदा हासिल कर सकते हैं। इसके लिए किसान को एनसीडीएक्स ब्रोकर के यहां अपना ट्रैडिंग खाता खुलवाना होगा।



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