नई दिल्ली। डेबिट कार्ड रखने वालों की संख्या पिछले 1 वर्ष से लगातार गिर रही है। एक ही साल में डेबिट कार्ड की संख्या 15 फीसदी घटकर अक्टूबर, 2019 में दो साल के निचले स्तर 84.3 लाख पर आ गई है। हालांकि अक्टूबर, 2018 में भारत में डेबिट कार्ड की संख्या 99.8 लाख पर पहुंच गई थी। यह गिरावट ऐसे समय पर आई है, जब सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बैंकों पर पॉइंट ऑफ सेल्स या कार्ड टर्मिनल्स की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है।
15.5 लाख अकाउंट और कार्ड्स बंद: बैंकर्स का अनुमान है कि आरबीआई के आदेश पर मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड्स को चिप से बदलने की वजह से ऐसा हुआ है। खबरों के मुताबिक, बैंकर्स का कहना है कि मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड की जगह चिप आधारित कार्ड का इस्तेमाल होने से तकरीबन 15.5 लाख अकाउंट और कार्ड्स बाजार से बाहर हो गए।आरबीआई ने इसे अनिवार्य किया था कि सभी बैंक ईएमवी चिप वाले कार्ड्स का इस्तेमाल करें क्योंकि यह अधिक सुरक्षित हैं। इस फैसले के चलते 2018 में बैंकों ने दोबारा कार्ड्स इश्यू किए थे। अप्रैल, 2019 में 80 फीसदी से ज्यादा कार्ड इश्यू होने के बाद अधिकतर सरकारी और निजी बैंकों ने मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड को ब्लॉक कर दिया था। इसकी वजह से बाकी बचे हुए इनएक्टिव अकाउंट भी बंद हो गए।
जनधन योजना के चलते कार्ड्स की संख्या बढ़ी : जनधन योजना के चलते ग्रामीण भारत में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ा है। जनधन खाताधारकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला रूपे कार्ड पिछले साल के मुकाबले 13.5 फीसदी बढ़कर नवंबर, 2019 में 29.68 लाख हो गया। इसकी वजह से देश के गरीब परिवारों में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल एक साल में 75 फीसदी से बढ़कर 80 फीसदी हो गया।
डिजिटल मुहिम को लगा झटका, डेबिट कार्ड यूजर्स की संख्या में आई 15 प्रतिशत की गिरावट
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