जयपुर। उद्योग आयुक्त डॉ. समित शर्मा ने क्रेता और विक्रेताओं के बीच परस्पर सहयोग व समन्वय के संबंध होने से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के भुगतान संबंधी विवाद की संभावनाएं न्यूनतम स्तर पर आ जाएगी। डॉ. शर्मा ने उद्योग भवन में राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद की 44 वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में 80 प्रकरणों पर सुनवाई की गई।
उद्योग आयुक्त डॉ. समित शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से सामान प्राप्त करने वाले उद्योगों या संस्था को राशि का भुगतान 45 दिन में नहीं होने की स्थिति में संबंधित पक्ष उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में गठित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद में वाद प्रस्तुत कर राहत प्राप्त कर सकते हैं। एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है।
उद्योग आयुक्त डॉ. समित शर्मा ने बताया कि सुविधा परिषद के प्रयासों से राज्य की सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को बकाया भुगतान प्राप्त करने में सहयता मिल रही है। उन्होंने बताया कि अधिकांश प्रकरणों में दोनों पक्षों को समझाईश कर भुगतान संबंधी विवादों के निपटारे के प्रयास किए जा रहे हैं। परिषद की बैठक में उद्योग विभाग की ओर से अतिरिक्त निदेशक पीके जैन और संयुक्त निदेशक एसएल पालीवाल व केएल स्वामी द्वारा प्रकरणों की विस्तार से जानकारी दी गई।
बैठक में उद्योग आयुक्त डॉ. शर्मा की अध्यक्षता में गठित परिषद् के उद्योग आयुक्त डॉ. समित शर्मा के अलावा राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजन एनसी उप्रेती व काउंसिल के सदस्य ताराचंद गोयल उपस्थित थे।
क्रेता-विक्रेता में परस्पर सहयोग व समन्वय से भुगतान विवादों का निपटारा संभव
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