बिजनेस रेमेडीज/नई दिल्ली। मूडीज एनालिटिक्स ने एशिया में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को लेकर बड़ा दावा किया है। मूडीज का कहना है कि एशिया में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्राओं में कमजोरी का जोखिम चिंताजनक है। सबसे ज्यादा खतरा भारत पर है। अगर रुपया और अन्य मुद्राएं ऐसे ही कमजोर होती रहीं तो इसका खासा असर तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
मूडीज के अनुसार, रुपये की कमजोरी के चलते एशिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की रफ्तार पर ब्रेक लगा सकती है। भारतीय रुपया लगभग एक साल से अस्थिर था और प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से कई नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। अक्टूबर 2022 में, रुपये ने अपने इतिहास में पहली बार 83 अंक को पार किया। अभी एक डॉलर की कीमत 82 रुपया है।
मूडीज ने ये भी कहा कि अगर रुपये की स्थिति मजबूत नहीं होती है तो आरबीआई को मजबूरन बड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं। कमजोर रुपये को और अधिक टूटने से बचाने के लिए दरों में इजाफा करना पड़ सकता है।
मूडीज का कहना है कि आयातित वस्तुओं की उच्च लागत का सामना करने वाले विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा जारी मौद्रिक नीति को मजबूत करने से मुद्रा का मूल्यह्रास शुरू हो गया। किसी भी सख्त मौद्रिक नीति के बीच बेहतर और स्थिर रिटर्न के लिए निवेशक अमेरिका जैसे स्थिर बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं। आमतौर पर भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर बाजार में तरलता प्रबंधन के माध्यम से हस्तक्षेप करता है, जिसमें रुपये में भारी मूल्यह्रास को रोकने की दृष्टि से डॉलर की बिक्री भी शामिल है।
रिपोर्ट में भारत की मुद्रास्फीति का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है कि यह अब नहीं बढ़ रही है, लेकिन उच्च खाद्य कीमतें एक प्रमुख चिंता का विषय हैं। बता दें कि फरवरी में ही भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 10 महीनों में लगातार छठी बार रेपो रेट बढ़ाने का एलान किया था। इसके चलते लोन की ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी हुई।
