उदयपुर। राजस्थान में अधात्विक खनिजों का वहन क्षमता आधारित पर्यावरण मैत्री उत्खनन तथा प्रभावित क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक विकास किस प्रकार किया जा सके, इस विषय पर खनन उद्यमियों के साथ विचार-विमर्श किया गया। जिससे ईको फ्रेण्डली माईनिंग तथा माईनिंग क्षेत्र का सतत एवं समग्र विकास सम्भव हो सके। उपरोक्त जानकारी श्री जे.के. उपाध्याय ने यूसीसीआई में दी।
सी.एस.आई.आर-नीरी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय-भारत सरकार, खान एवं भूविज्ञान विभाग, उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री, राजस्थान राज्य प्रदूशण नियंत्रण मण्डल, फैडरेषन ऑफ माईनिंग एसोसिएशन ऑफ राजस्थान तथा के संयुक्त तत्वावधान में यूसीसीआई के पी.पी. सिंघल ऑडिटोरियम में ‘राजस्थान में अधात्विक खनिजों का वहन क्षमता आधारित पर्यावरण मैत्री उत्खनन तथा प्रभावित क्षेत्रों का सामाजिक ‘आर्थिक विकासÓ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सी.एस.आई.आर-नीरी (राश्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान) दिल्ली क्षेत्रीय केन्द्र के वरिश्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एस.के. गोयल ने संस्थान के बारे में जानकारी देते हुए नीरी की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। डॉ. गोयल ने बताया कि राज्य के खनन उद्योग के समक्ष आ रही समस्याओं का समाधान मुहैया कराने का प्रयास करना तथा पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना माईनिंग गतिविधियों को संचालित करने की तकनीक के बारे में उद्यमियों को जानकारी एवं जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। मुख्य अतिथि श्री जे.के. उपाध्याय ने अपने सम्बोधन में बताया कि राज्य की समस्त माईनिंग गतिविधियों का सर्वाधिक क्षेत्रफल मेवाड़ में है। राज्य में 82 प्रकार के मिनरल उपलब्ध हैं जिनमें से 11 मिनरल्स पर राजस्थान का एकाधिकार है। राज्य के लगभग 8 लाख व्यक्तियों को माईनिंग से प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है तथा लगभग 25 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। वर्श 2017 के माईनिंग कन्सेषन रूल्स में कुछ विसंगतियां रह गई हैं जिनमें रॉयल्टी, खातेदारी, पर्यावरण क्लीयरेंस सम्बन्धित मुद्दों के सम्बन्ध में राज्य सरकार को सुझाव भेजे गये हैं। बजरी संकट के समाधान पर चर्चा करते हुए श्री उपाध्याय ने एम-सेण्ड को विकल्प के रूप में उपयोग में लेने का विचार रखा। एम-सेण्ड प्लान्ट्स की स्थापना एवं संचालन के लिये सरकार द्वारा सबसिडी मुहैया कराने का सुझाव खान एवं भूविज्ञान विभाग द्वारा राज्य सरकार को भेजा गया है। सिलिकोसिस के रोगी को विकलांग घोशित कर सरकारी सहायता मुहैया कराये जाने का सुझाव भी राज्य सरकार को भेजा गया है।
