मुंबई
आईएलऐंडएफएस समूह की कंपनियों के भुगतान में चूक के बाद गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की शाखाओं पर आवास ऋण के संबंध में पूछताछ में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2018 तिमाही में इसमें 7.9 प्रतिशत की कमी देखी गई है। सिबिल की एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 की चौथी तिमाही में एनबीएफसी की शाखाओं में आवास ऋणों के संबंध में पूछताछ 45.40 प्रतिशत तक बढ़ी थी। पिछले तीन वर्षों में भारतीय उपभोक्ता ऋण बाजार में तेजी लाने में एनबीएफसी खंड की अहम भूमिका रही है। हालांकि बाजार में अब इस बात के संकेत दिखने लगे हैं कि अब मामला सुस्त पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि एनबीएफसी खंड की शीर्ष कंपनियों के पास उधार देने के लिए रकम का टोटा पडऩे लगा है। सिबिल के कैलेंडर वर्ष 2018 की इंडस्ट्री इन्साइट्स रिपोर्ट (आईआईआर) के अनुसार एनबीएफसी में आवास ऋण के संबंध में पूछताछ में सालाना आधार पर 7.9 प्रतिशत कमी आई है। इनके मुकाबले इसी अवधि में बैंकों में इसमें 9.3 प्रतिशत तेजी आई है।
वैसे माना जा रहा है कि अगली दो तिमाहियों के दौरान एनबीएफसी तेजी से अपना प्रदर्शन सुधार सकती हैं। यह एक अच्छा संकेत है, क्योंकि एनबीएफसी खंड वित्तीय समावेशन और ऋण की उपलबधता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। हाल के वर्षों में ऋण उपलब्ध करने में एनबीएफसी की अहम भूमिका रही है। हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्त पडऩे और गैर-बैंकिंग बाजार परिपक्व होने से इस क्षेत्र चाल धीमी पडऩे के संकेत मिलने लगे हैं।
