Saturday, March 22, 2025 |
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आम्रपाली ग्रुप पर कोर्ट की सख्ती से घर खरीददारों में जगी आस

by admin@bremedies
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नोएडा। आम्रपाली बिल्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से नोएडा के घर खरीदारों के हजारों लोगों को उम्मीद जगी है। अभी तक जहां सबका फोकस उन प्रॉजेक्ट को पूरा करने पर ज्यादा था जिनमें हजारों बायर्स फंसे हुए हैं और ढांचा ही बनकर तैयार हुआ है। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख से लोगों को लग रहा है कि अधूरे प्रॉजेक्ट में रहने वाले रेजिडेंट्स जो कि मेंटिनेंस के लिए संघर्ष कर रहे हैं, अब उनके प्रति भी बिल्डर की जवाबदेही होगी।
मेंटिनेंस के मसले पर रेजिडेंट्स को अगले कुछ महीने में राहत मिल सकती है। जानकारी के अनुसार नोएडा में आम्रपाली के करीब दर्जन भर प्रॉजेक्ट्स हैं। इनमें से 6-7 प्रॉजेक्ट्स ऐसे हैं, जिनमें मेंटिनेंस को लेकर हर रोज टकराव होता है। आधा अधूरा सिस्टम होने की वजह से मेंटिनेंस चार्ज देने के बाद भी बिल्डर ने पूरी तरह पल्ला झाड़ रखा था। 8-10 महीने पहले जो प्रॉजेक्ट इन्सॉल्वंसी के दायरे में आए थे उसके बाद उनकी हालत और खराब हो गई। एनसीएलटी में जाने के बाद से बिल्डर की जवाबदेही पूरी तरह खत्म सी हो गई थी। नोएडा में जिन आधे अधूरे प्रॉजेक्ट्स में लोग रह रहे हैं इनमें हार्टबीट सिटी, सिलीकॉन सिटी, आम्रपाली प्लैटिनम, जोडिएक, सफायर, प्रिंसले एस्टेट, ईडन पार्क आदि में करीब 15-20 हजार लोग रह रहे हैं, लेकिन ये सभी प्रॉजेक्ट्स अभी अधूरे हैं। इनमें करीब 5-6 हजार फ्लैट और बनाए जाने हैं, जिनमें करीब 2,000 हजार ऐसे हैं जिनमें सिर्फ फिनिशिंग बाकी है।
बावजूद इसके बिल्डर वर्षों से रुचि नहीं ले रहा था और लोगों को फंसाकर जिम्मेदारी से भाग रहा था। बायर्स की संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का मानना है कि आम्रपाली के सभी प्रॉजेक्ट को पूरा कराने के लिए सरकार को इसमें को दखल देनी होगी। बिल्डर को करीब 10 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से जमीन आवंटित की गई थी। यहां इस समय 50 से 55 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर का रेट चल रहा है। ऐसे में बिल्डर की ऐसी जमीन, जिसको अभी बायर्स को नहीं बेचा गया है, उसे साफ छवि वाले को-डिवेलपर को दे दिया जाए। यह सरकारी कंपनी हो तो और भी ज्यादा अच्छा है। ये कंपनी इसे डिवेलप करे और सरकार भी अपनी तरफ फंड दे। अगर सरकार किसानों को राहत पैकेज दे सकती है तो गरीब बायर्स को क्यों नहीं। बैंक और अथॉरिटी से पहले बायर्स का हित देखा जाए। इन उपायों से जल्द निर्माण पूरा हो सकता है। हमने ये उपाय केंद्र सरकार की समिति और सुप्रीम कोर्ट को भी बताया है। ऐसा न होने पर मामला लटका रहेगा।



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