नई दिल्ली। आम्रपाली के 42 हजार अधूरे फ्लैट पूरे करने से नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने यह कहकर हाथ खड़े कर दिए हैं कि उनके पास इस लायक न तो संसाधन हैं और न ही क्षमता है। सुप्रीम कोर्ट को दोनों अथॉरिटी ने सुझाव दिया कि किसी नामी बिल्डर को यह काम सौंपा जाए। दोनों अथॉरिटी ने बताया कि उन्होंने होम बायर्स के हित, राजनीतिक वजहों को ध्यान में रखते हुए आम्रपाली को आवंटित लीज रद्द नहीं की है।
बायर्स के वकील एमएल लाहौटी के मुताबिक, कोर्ट ने दोनों अथॉरिटी से कहा कि आम्रपाली के जिन 7 प्रॉजेक्ट्स में लोग रह रहे हैं, उन्हें बिजली-पानी का कनेक्शन तुरंत दिया जाए। अधूरे प्रॉजेक्ट कौन पूरे करेगा, इस पर हम अपना फैसला सुरक्षित रखते हैं। कोर्ट के बाहर बायर अमित गुप्ता ने ‘एनबीटीÓ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बायर्स को भारी राहत मिली है। 49 हजार बॉयर्स इस बात से खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोचा है कि आम्रपाली का लीज कैंसल किया जाए और प्रॉजेक्ट उसके हाथ से ले लिया जाए। हमारा कहना है कि प्रॉजेक्ट का काम एलऐंडटी कंपनी को दिया जा सकता है। करीब 10 हजार बायर्स 7 प्रॉजेक्ट्स में रहते हैं। उन्हें अथॉरिटी बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं दे रही है। उसका कहना है कि चूंकि ओसी नहीं मिला है ऐसे में प्राइवेट कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। अगर प्रॉजेक्ट किसी कंपनी को बनाने के लिए दिया जाता है चाहे उसे अथॉरिटी पूरा करे या फिर एलऐंडटी कंपनी बनाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट एक कमिटी का गठन करे जो पूरे प्रॉजेक्ट को मॉनिटर करे। साथ ही उन बायर्स का भी ध्यान रखा जाए जिन्हें रिफंड चाहिए और जिनके प्रॉजेक्ट डिले हुए हैं उन्हें 8 फीसदी की दर से डिले के एवज में पैसे दिए जाएं। साथ ही आम्रपाली ने जो भी लीज के एवज में किस्त दिए हैं उसका 25 फीसदी जब्त कर लिया जाए।
