आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से शाबाशी मिली है। आईएमएफ ने कहा है कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होने की राह पर है, क्योंकि सुधारों का फायदा अब दिखने लगा है। आईएमएफ के भारतीय मिशन चीफ रानिल सालगादो ने 26 खरब डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को ऐसा हाथी बताया जिसने अब दौडऩा शुरू कर दिया है।
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर यह वैश्विक विकास में 15 फीसद की हिस्सेदारी दे रहा है। अपनी रिपोर्ट में आईएमएफ ने भारत की विकास दर 2018-19 में 7.3 फीसदी और 2019-20 में 7.5 फीसदी रहने की संभावना जताई है। 2016 में लगे नोटबंदी और जीएसटी जैसे दो झटकों से भारतीय अर्थव्यवस्था के उबर जाने की बात भी इस रिपोर्ट में है। आईएमएफ का मानना है कि भारत ने अच्छी मैक्रो इकोनॉमिक नीतियां अपनाई हैं। हाल में किए गए कुछ सुधारों का उसे खासतौर से फायदा हुआ है जो स्थिरता प्रदान करने में सहायक रहे हैं। कुछ तात्कालिक समस्याएं जरूर हैं लेकिन जीएसटी के कारण दीर्घावधि में लाभ पहुंचेगा। आईएमएफ ने कहा कि 29 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों की जटिल संरचना वाला देश होते हुए भी राष्ट्रीय स्तर पर जीएसटी लागू करना एक बड़ी उपलब्धि है। अन्य कई देश अभी इस तरह की व्यवस्था लागू करने की कवायद में ही जुटे हैं।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड को भी आईएमएफ ने एक अहम उपलब्धि बताया। रिजर्व बैंक के तहत 2016 में औपचारिक रूप से शुरू किए गए और अनौपचारिक रूप से इसके कुछ पहले से सक्रिय मुद्रास्फीति अनुमान नेटवर्क की भी उसने प्रशंसा की है, जिसकी वजह से मुद्रास्फीति को नीचे रखने में सफलता मिली। व्यापार में सुधार और एफडीआई को और अधिक उदार बनाने के लिए सरकार की तारीफ करते हुए आईएमएफ ने कहा है कि बैंकों और कॉरपोरेट सेक्टर के खातों को दुरुस्त करने का काम जारी रहना चाहिए। बहरहाल, आईएमएफ की रिपोर्ट जो भी कह रही हो, आम आदमी अभी अर्थव्यवस्था को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। रिजर्व बैंक के उपभोक्ता आत्मविश्वास सर्वेक्षण में केवल 48.2 प्रतिशत को लगता है कि अगले 12 महीनों में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगा। बाकी रोजी-रोजगार को लेकर गंभीर आशंकाओं से ग्रस्त हैं। ये आंकड़े एक खास अवधि के हैं, फिर भी सरकार के लिए असल चुनौती विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने की ही है। आईएमएफ ने इस संबंध में संकेत किया है कि भारत अपने युवा कार्यबल का सही इस्तेमाल करे। अभी ऐसी नीतियों की जरूरत सबसे ज्यादा है, जिनके जरिये युवाओं को विकास प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाया जा सके।
पुनित जैन
सम्पदक
आईएमएफ से मिली शाबाशी
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