Home प्रॉपर्टी अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैटों पर जीएसटी कम होने से रियल एस्टेट पर घटेगा टैक्स का बोझ

अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैटों पर जीएसटी कम होने से रियल एस्टेट पर घटेगा टैक्स का बोझ

by Business Remedies
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नई दिल्ली। अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैटों पर मौजूदा 12 प्रतिशत की जगह 3 प्रतिशत और 5 प्रतिशत जीएसटी चार्ज करने की मंत्री समूह की सिफारिश से रियल एस्टेट सेक्टर पर टैक्स का बोझ तो घटेगा, लेकिन रियल्टर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ छिन जाना खटक रहा है। उनका मानना है कि कच्चे माल और सर्विसेज की लागत पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट नहीं मिलने से उनकी लागत में कोई खास कमी नहीं आएगी, जिससे घरों की कीमत में बहुत ज्यादा कटौती नहीं होने जा रही। एसोचैम की अफोर्डेबल हाउसिंग पर नेशनल काउंसिल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि सरसरी नजर में यह प्रस्ताव इंडस्ट्री और बायर्स दोनों के लिए फायदेमंद है। अभी बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट वाले घरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जो घटकर 5त्न हो जाएगा, जबकि अफोर्डेबल हाउसिंग पर रेट मात्र 3त्न ही होगा। लेकिन कच्चे माल पर इनपुट क्रेडिट नहीं मिलना एक बड़ी चुनौती होगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फिलहाल जमीन की लागत को शामिल करते हुए सरकार 33 प्रतिशत अबेटमेंट भी देती है, जिससे जीएसटी का प्रभावी रेट 12 प्रतिशत के बजाय 8 प्रतिशत ही रह जाता है।
इस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलने से वास्तविक बोझ और घट जाता है और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी एडजस्ट होता रहता है। लेकिन बिना के्रडिट के एकमुश्त 5 प्रतिशत रेट बहुत ज्यादा राहत देता नहीं दिखता।
वेल्थ क्लिनिक के सीएमडी अमित रहेजा ने कहा कि इनपुट क्रेडिट छिनने से वास्तव में रेट घरों के दाम स्थिर या कुछ मामलों में बढ़ भी सकते हैं। गुलशन होम्स के डायरेक्टर दीपक कपूर के मुताबिक रेट घटने के बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलने से कंस्ट्रक्शन लागत बढ़ जाएगी, क्योंकि ज्यादातर बिल्डिंग मैटीरियल्स पर रेट ज्यादा हैं और कच्चे माल पर हमें ज्यादा कर चुकाना पड़ता है। बिल्डर्स के पास इस लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने के अलावा बहुत कम विकल्प होंगे। ऐसे में कीमतें घटेंगी या नहीं कहना मुश्किल है।
प्रॉप टाइगर के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर अंकुर धवन ने बताया कि जिन राज्यों में पहले 5 पर्सेंट से ज्यादा वैट लगता था, वहां ग्राहकों को कम टैक्स चुकाना होगा। लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट का न मिलना डिवेलपर और सरकार दोनों के लिए नकारात्मक है। ऐसे में इनवॉइस चेन टूट जाएगी और ज्यादातर डिवेलपर लागत का बोझ ग्राहकों पर ही डालेंगे। महागुन ग्रुप के डायरेक्टर धीरज जैन ने कहा कि रेट घटाने से पहले यह तय करना बहुत जरूरी है कि प्रॉपर्टी का कितना निर्माण पूरा हो चुका है और कितना बाकी है।

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